सत्तर के दशक में पटना में विधायकों और पूर्व विधायकों के निजी आवास के लिए सरकार सस्ती दर पर जमीन दे रही थी. खुद कर्पूरी ठाकुर के दल के कुछ विधायकों ने उनसे कहा कि आप भी अपने आवास के लिए जमीन ले लीजिए. कर्पूरी ठाकुर ने साफ मना कर दिया. तब के एक विधायक ने उनसे यह भी कहा था कि जमीन ले लीजिए, अन्यथा आप नहीं रहिएगा तो आपका बाल-बच्चा कहां रहेगा? कर्पूरी ठाकुर ने कहा कि वे अपने गांव में रहेंग
उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपने संस्मरण में कर्पूरी ठाकुर की सादगी का बेहतरीन वर्णन किया है. बहुगुणा लिखते हैं- कर्पूरी ठाकुर की आर्थिक तंगी को देखते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री देवीलाल ने पटना में अपने एक हरियाणवी मित्र से कहा था- कर्पूरी जी कभी आपसे पांच दस हजार रुपये मांगें, तो आप उन्हें दे देना, वह मेरे ऊपर आपका कर्ज रहेगा. बाद में देवीलाल ने अपने मित्र से कई बार पूछा- भाई कर्पूरी जी ने कुछ मांगा. हर बार मित्र का जवाब होता- नहीं साहब, वे तो कुछ मांगते ही नही
कर्पूरी ठाकुर के पास कभी कोई कार या जीप नहीं रही. बात 80 के दशक की है. विधानसभा की बैठक चल रही थी. कर्पूरी ठाकुर विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता थे. उन्होंने एक नोट भिजवाकर अपने ही दल के एक विधायक से थोड़ी देर के लिए उनकी जीप मांगी. उन्हें लंच के लिए आवास जाना था. विधायक ने उसी नोट पर लिखा- मेरी जीप में तेल नहीं है. कर्पूरी दो बार मुख्यमंत्री रहे. कार क्यों नहीं खरीदते?’
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