संवाददाता, पटना : फुटपाथों, पार्किंग और सार्वजनिक जगहों पर अतिक्रमण पर पटना हाइकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पटना डीआइजी को शो-कॉज का जवाब देते हुए कोर्ट को यह बताने को कहा है कि शहर में इस तरह के अतिक्रमण नहीं हैं और वे कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं कर रहे हैं. जस्टिस पीबी भजंथरी और जस्टिस एसबी प्रसाद सिंह की दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपने मौखिक आदेश में इसके साक्ष्य के तौर पर डीआइजी को डिजिटल फोटोग्राफ भी प्रस्तुत करने को भी कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 नवंबर 2024 निर्धारित की गयी है. साथ ही, कोर्ट ने आदेश की कॉपी मुख्य सचिव, डीजीपी और पटना जिला प्रशासन को भी भेजने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इसके साथ ही रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि आदेश की कॉपी के साथ मुख्य सचिव को अनुरोध पत्र भेजकर सार्वजनिक जगहों पर अतिक्रमण की निगरानी के लिए एक स्थायी कमिटी का गठन करने को कहा जाये, ताकि नगरपालिका कानून और मोटरयान अधिनियम का पालन हो सके.
कोर्ट ने 2011 में ही दिया था आदेश
गौरतलब है कि एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने 13 जुलाई 2011 को ही आदेश पारित करते हुए पटना डीआइजी को निर्देश दिया था कि वे ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए सड़कों से ठेले-खोमचे को हटायें. साथ ही गाड़ियों के अवैध पार्किंग को हटायें. यदि इस मामले में आगे किसी भी प्रकार की अनदेखी इस मामले में कोर्ट के सामने आता है तो डीआइजी पटळना के खिलाफ अवमानना का केस चलेगा. इसी आदेश का हवाला देते हुए रौनक सिन्हा की ओर से इस साल शहर में फुटपाथों के अतिक्रमण को मुद्दा बनाते हुए कंटेप्ट ऑफ कोर्ट को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गयी है.
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