Digital Arrest: पटना के दो युवक को साइबर अपराधियों ने किया डिजिटल अरेस्ट, पलभर में ठगा 26 लाख से अधिक

Digital Arrest के मामले में अपराधी किसी खास तकनीक का इस्तेमाल नहीं करते हैं. लेकिन वे अक्सर लोगों को अरेस्ट करने के लिए वीडियो कॉल या व्हाट्सएप कॉल की मदद लेते हैं. 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी हकीकत में कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती है.

By Radheshyam Kushwaha | February 4, 2025 5:35 AM
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Digital Arrest: पटना नौबतपुर के रहने वाले हरेंद्र कुमार से साइबर शातिरों ने डिजिटल अरेस्ट कर 25 लाख 85 हजार की ठगी कर ली. हरेंद्र के पिता शिक्षक हैं और हाल ही में रिटायर हुए हैं. शातिर उन्हें मुंबई पुलिस का अधिकारी बनकर फोन किया. अपराधियों ने कहा कि आपके खिलाफ मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज है. आपको मुंबई आना होगा. इसके बाद धमकाकर शातिर उनसे व्हाट्सएप नंबर लिया. उन्हें वीडियो कॉल कर धमकाया. कहा कि नहीं आ सकते तो अपने खाता के सभी पैसे दिए गए खाता पर ट्रांसफर करें. आरबीआई से उसकी जांच होगी. अगर कोई गड़बड़ी नहीं मिली तो सूद सहित पैसे वापस हो जाएंगे. हरेंद्र ने कहा कि उनके पिता हाल ही में रिटायर हुए हैं और खाता में पैसे थे. उन्होंने दो खाता से 25 लाख 85 हजार रुपए शातिर के खाता पर भेज दिया. इसके बाद उन्हें ठगी का एहसास हुआ.

दुबई पुलिस का अधिकारी बन ठग लिया 50 हजार

विश्वजीत कुमार कुमार गुलजारबाग के रहने वाले हैं. उनका दोस्त केशव शर्मा दुबई में काम करता है. शातिर दुबई पुलिस का अधिकारी बनकर फोन किया. कहा कि आपका दोस्त केशव पकड़ा गया है. उसे जेल भेजा जा रहा है. इसके बाद उन्हें डरा धमकाकर शातिर उनसे 50 हजार की ठगी कर लिया.

डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय क्या हैं?

डिजिटल अरेस्ट से बचने का सबसे आसान तरीका यही है कि आपको घबराना नहीं है. यदि आपके पास कोई ऐसी कॉल आती है, जिसमें कहा जाता है कि आपके नाम पर कोई पार्सल आया है जिसमें अवैध चीजें हैं, आपके सिम कार्ड का इस्तेमाल गलत कामों में हुआ है या फिर कोई ऐसी कॉल आती है जिसमें कहा जाता है कि आपका नंबर आज बंद हो जाएगा. चालू रखने के लिए 9 या कोई अन्य बटन दबाएं तो आपको ऐसे कॉल का जवाब नहीं देना है.

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डिजिटल अरेस्ट का कोई कानून नहीं

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का नया तरीका है. हालांकि, ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी हकीकत में कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती है. ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं.

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