– शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच विवाद और गहराया

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक कुलाधिपति के बुलावे पर भी सोमवार को राजभवन नहीं पहुंचे. इसके साथ ही शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच मतभेद अब और गहरा गया है

By Prabhat Khabar News Desk | April 15, 2024 10:35 PM

संवाददाता,पटना

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक कुलाधिपति के बुलावे पर भी सोमवार को राजभवन नहीं पहुंचे. इसके साथ ही शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच मतभेद अब और गहरा गया है. दरअसल 10 अप्रैल को राज्यपाल सह कुलाधिपति के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चौंग्थू ने एक पत्र लिख कर अपर मुख्य सचिव केके पाठक से 15 अप्रैल सोमवार की सुबह दस बजे राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के कक्ष में उपस्थित होने का आग्रह किया था. इधर सोमवार को रोज की भांति अपर मुख्य सचिव के के पाठक सुबह ठीक साढ़े नौ बजे विकास भवन स्थित विभागीय सचिवालय पहुंचे. रूटीन कामकाज निबटाया. निर्धारित समय पर वह लंच के लिए निकले और वापस लौटे. इस तरह विभागीय सचिवालय में वह सक्रिय रहे.

जानकारी के मुताबिक नौ अप्रैल को राजभवन में कुलाधिपति की अध्यक्षता में सभी विश्वविद्यालयों (बीएएसयू और बीएयू को छोड़कर) के कुलपतियों की बैठक बुलायी गयी थी. इसमें अपर मुख्य सचिव केके पाठक भी आमंत्रित किये गये थे. हालांकि उस बैठक में अपर मुख्य सचिव उपस्थित नहीं हुए. 10 अप्रैल को राजभवन की तरफ से अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र के जरिये बताया गया था कि नौ अप्रैल की बैठक में पाठक की अनुपस्थिति पर राज्यपाल सह कुलाधिपति ने खेद जताया है और पूछा है कि किन परिस्थितियों में वह इस बैठक में शामिल नहीं हुए.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने राजभवन के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू को पत्र लिख कर साफ किया था कि राजभवन को शिक्षा विभाग की गतिविधियों में हस्तक्षेप करने से परहेज करना चाहिए था. इसके अलावा उस पत्र में गंभीर राजभवन और कुलाधिपति के संबंध में और भी बातें कही गयी थीं. इसकी वजह से राजभवन और शिक्षा विभाग के संबंध सहज नहीं चल रहे हैं. जानकारों के मुताबिक सोमवार के घटनाक्रम ने राजभवन और शिक्षा विभाग के संबंधों की खाई को और गहरा कर दिया है.

बढ़ गयी है परेशानी

शिक्षा विभाग और राजभवन बीच विवाद बढ़ने से उच्च शिक्षा में एक खास तरीके का संकट गहरा गया है. यह देखते हुए दोनों ही पक्ष विभिन्न सरकारी प्रावधानों के जरिये अपनी सर्वोच्चता जता रहे हैं. फिलहाल विश्वविद्यालयों के बैंक खातों पर पाबंदी के चलते विश्वविद्यालयों एवं उनके कर्मचारियों के सामने परेशानी खड़ी होने की बात कही जा रही है. अब इसमें समस्या के समाधान के लिए उच्चस्तरीय प्रयासों की शुरूआत होने की बात कही जा रही है.

Next Article

Exit mobile version