जूही स्मिता,पटना. गया के विष्णुपद रोड के रहने वाले दिवांशु और उनकी टीम के भावेश नारायनी, मोइनाक बैनर्जी और लिंडा जसलीन ने एक ऐसी रोबोटिक मशीन तैयार की है, जिससे सैप्टिक टैंक और पाइपलाइन की सफाई कर सकेगी. इसमें मानव बल का उपयोग नहीं करना पड़ेगा. मशीन साॅफ्टवेयर के माध्यम से भेजे गये कमांड के आधार पर ऑटोमेटिक सफाई करेगी. इसमें दो डिवाइस तैयार की गयी हैं, जिनकी कीमत 10 से 18 लाख के बीच है. वहीं, देवांशु ने अपनी टीम के साथ सोनी टीवी के शो शार्क टैंक में भाग लिया था. इसमें अनुपम मित्तल और पीयूष बंसल ने उनकी कंपनी में 90 लाख रुपये का निवेश किया है. फिलहाल, उनके प्रोडक्ट का देश के 16 से अधिक शहरों में इस्तेमाल किया जा रहा है. पिछले साल कंपनी की सेल्स 1.6 करोड़ रुपये थी.
आइआइटी, मद्रास से मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके दिवांशु अभी अपनी टीम के साथ सोलेनास इंटीग्रेटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चला रहे हैं. इसके तहत उनकी टीम ने होमोसेप और एंडोबोट तैयार किये हैं. देश में पूरे साल में कई लोग सेप्टिक टैंक की सफाई करते वक्त अपनी जान गवां देते हैं. ऐसे में होमोसेप से कई जानें बचायी जा सकती हैं. होमोसेप एक सेप्टिक टैंक क्लीनिंग रोबोट है, जिससे सेप्टिक टैंक की सफाई बिना किसी सफाई कर्मचारी के टैंक के अंदर गये हो सकती है. यह एक कंप्लीट पैकेज रोबोट है, जो 3-5 मीटर अंदर जाकर दो घंटे तक काम कर कर सकता है
रोबोट की मदद से पाइपलाइन में पानी लीकेज, वॉटर कॉन्टेमिनेशन आदि जैसी समस्याओं को चिह्नित कर दूर करते हैं. हमने हमेशा देखा है कि पाइपलाइन से जुड़ी अगर कोई समस्या होती है, तो सड़कों औैर मुहल्लों में गड्ढे किये जाते हैं, जिससे एक लंबा समय निकल जाता है. एंडोबोट की मदद से समय और पैसे दोनों की बचत होगी. ऐसा इसलिए कि यह बहुत ही छोटा होता है और इसके लिए सड़क पर सिर्फ नौ सेमी व्यास का छेद करना होगा. इसकी मदद से ही रोबोट इसके अंदर चला जायेगा. इसके साथ ही एक सॉफ्टवेयर भी है, जो शहर में मौजूद पाइपलाइन को डिजिटल फॉर्मेट में दिखाता है, जिसकी मदद से समस्याओं का निदान करना आसान है.
दिवांशु बताते हैं कि इंजीनियरिंग के फाइनल इयर में उन्हें एक प्रोजेक्ट देना था. उस वक्त उनके प्रोफेसर ने बताया कि कई कर्मियों की मौत सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुई. उनके कहने पर ही इस रोबोट का एक प्रोटोटाइप तैयार किया. जब इसे एक एग्जीबिशन में सफाईकर्मियों को दिखाया गया, तो उन्होंंने उनसे पूछा था क्या आपने कभी सेप्टिक टैंक देखा है? जिसके बाद उन्होंने सेप्टिक टैंक को देखा और आठ महीने के अंदर होमोसेप तैयार किया. इसके लिए इन्हें साल 2019 में नेशनल बायो इंटरप्रेन्योरशिप कंपीटीशन में नेशनल अवार्ड मिला. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेस्ट फाइनल इयर प्रोजेक्ट का अवार्ड दिया था. आज इनके दोनों प्रोजेक्ट देश के अलग-अलग शहरों में लगातार काम कर रहे हैं. उनका सपना है कि बिहार के साथ भी अन्य शहरों की तरह काम करें, जिससे पाइपलाइन और सैनिटेशन सिस्टम दुरुस्त हो सके.
साल 2021 में पहली बार नगर निगम मुख्यालय में बैंडीकुट मशीन यानी रोबोट का इस्तेमाल किया गया था. सीएसआर मद के तहत इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने पटना नगर निगम को 39 लाख रुपये की वित्तीय मदद दी थी. यह मशीन आठ मीटर अंदर जाकर 20 मिनट में एक मैनहोल की सफाई कर सकती है. इस मशीन में चार कैमरे लगे हुए हैं. एक बार में 16 किलो कचरा लेकर रोबोट की मदद से निकाला गया था. फिलहाल रोबोट से मैनहोल की सफाई बंद है.