वर्ल्ड मेंटल हेल्थ वीक में बोले आइजीआइएमएस के डॉक्टर- ओझा-गुनी का सहारा लेते हैं 38 प्रतिशत मानसिक रोगी
Bihar News: डॉक्टरों के अनुसार मानसिक रोग विभाग के ओपीडी में इलाज के लिए आने वाला हर तीसरा व्यक्ति अंधविश्वास पर भरोसा करता है. ऐसे लगभग 38 प्रतिशित रोगी पहले बाबा, तांत्रिक और नीम-हकीम के पास जाते हैं.
Bihar News: पटना मानसिक रोग से परेशान 100 में से 38 लोग अस्पताल आने से पहले ओझा-गुनी का सहारा लेते हैं. इस बात की जानकारी आइजीएमएस में मानसिक रोग को लेकर चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम के दौरान सामने आयी. डॉक्टरों के अनुसार मानसिक रोग विभाग के ओपीडी में इलाज के लिए आने वाला हर तीसरा व्यक्ति अंधविश्वास पर भरोसा करता है. ऐसे लगभग 38 प्रतिशित रोगी पहले बाबा, तांत्रिक और नीम-हकीम के पास जाते हैं. इससे उनकी बीमारी अधिक बढ़ जाती है और अंत में भर्ती होने की नौबत आ जाती है. आइजीआइएमएस में चार से नौ अक्तूबर तक वर्ल्ड मेंटल हेल्थ वीक मनाया जा रहा है.
डिप्रेशन के चलते भी बनते हैं मानसिक रोगी
इलाज कर रहे डॉक्टरों ने पाया कि आर्थिक नुकसान, बेटा या परिवार से सपोर्ट नहीं मिलना, बेरोजगारी और नशे की लत आदि की वजह से कुछ व्यक्ति डिप्रेशन में चले जाते हैं और समय पर इलाज नहीं मिलने से वह मानसिक रोगी हो जाते हैं. ऐसे लोग जागरूकता की कमी के कारण ओझा-गुनी व तांत्रिक का चक्कर लगाते रहते हैं.
तनाव लेने से बचें
आइजीआइएमएस मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार ने बताया कि मोटापा, बेरोजगारी, नशा आदि की वजह से तनाव लेकर लोग मानसिक रोगी हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि तनाव कई अन्य समस्याओं का जन्मदाता होता है. यह आपको अत्यधिक सिरदर्द, माइग्रेन, घबराहट, उदासी, पागलपन, हृदय से जुड़ी समस्याओं से ग्रसित कर देता है.
मोटापा भी मानसिक रोग का कारण, इससे 21% लोग पीड़ित
ओपीडी के आंकड़े के मुताबिक मानसिक रोग विभाग के ओपीडी में आने वाले कुल मरीजों में करीब 21% ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें मोटापे के अलावा कोई अन्य बीमारी नहीं होती है. पिछले एक साल के अंदर करीब 500 लोगों की जांच में यह पता चला कि वे लोग मोटापे की चिंता से मानसिक रोग के शिकार हो जाते हैं.
बाबा, तांत्रिक के चक्कर नहीं पड़ें मानसिक रोगी
आइजीआइएमएस मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल मानसिक रोग विभाग में आने वाले कुछ ऐसे भी मरीज हैं, जो शुरुआत में तंत्र-मंत्र, बाबा, तांत्रिक के चक्कर में पड़ कर इलाज कराने लगते हैं. जब मामला गंभीर होता है, तो वे अस्पताल पहुंचे हैं. हालांकि, इलाज के बाद उनको ठीक किया जाता है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha