बिहार: एक साल में 3 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा, इन तीन जिलों को छोड़ सभी जिलों के लोग हुए शिकार…
राज्य में एक साल में सवा तीन लाख से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है. मुजफ्फरपुर जिले के लोगों को चमकी बुखार के बाद अब कुत्तों का कहर भी झेलना पड़ रहा है. 2019-20 में मुजफ्फरपुर जिले के सबसे अधिक करीब तीस हजार लोगों को कुत्तों ने काट लिया. वहीं राज्य में कुल तीन लाख 12 हजार 630 लोग कुत्तों के शिकार हुए हैं. वहीं सीतामढ़ी, लखीसराय और बांका जिले में एक भी व्यक्ति को कुत्ते ने नहीं काटा .
राज्य में एक साल में सवा तीन लाख से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है. मुजफ्फरपुर जिले के लोगों को चमकी बुखार के बाद अब कुत्तों का कहर भी झेलना पड़ रहा है. 2019-20 में मुजफ्फरपुर जिले के सबसे अधिक करीब तीस हजार लोगों को कुत्तों ने काट लिया. वहीं राज्य में कुल तीन लाख 12 हजार 630 लोग कुत्तों के शिकार हुए हैं. वहीं सीतामढ़ी, लखीसराय और बांका जिले में एक भी व्यक्ति को कुत्ते ने नहीं काटा .
बिहार विधानसभा में शुक्रवार को पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण में राज्य में गंभीर बीमारियों को लेकर भी रिपोर्ट पेश की गयी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के तीन जिलों को छोड़कर कुत्तों ने सभी जिलों के लोगों पर हमला किया है. मुजफ्फरपुर के बाद वैशाली जिले में 21 हजार 882 लोग शिकार हुए हैं. इसी प्रकार जहानाबाद में 17791 लोगों को तो भोजपुर में 17408 लोग कुत्तों के शिकार हो चुके हैं.
नालंदा जिले के 16656 लोगों को तो मधुबनी के 16545 लोगों को कुत्तों ने काटकर जख्मी कर दिया. गया जिले में कुत्ते अधिक खुंखार नहीं हैं. यही कारण है कि इस जिले के महज 233 लोग ही कुत्तों के झपट्टे में पड़े . आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि राज्य के सभी जिलों में स्ट्रीट डॉग के काटने के कारण लोगों को एंटी रैबिज का टीका लेना पड़ा.
हालांकि इस रिपोर्ट में रैबीज बीमारी के कारण होनेवाली मौत की जानकारी नहीं दी गयी है. इस रिपोर्ट में यह जानकारी उपलब्ध नहीं है कि कुत्तों के काटने के कारण रैबीज की बीमारी से कितने लोग आक्रांत हुए.
Posted By: Thakur Shaktilochan