गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक हाइस्पीड कॉरिडोर के लिए डीपीआर तैयार: संजय झा
‘गोरखपुर-सिलीगुड़ी हाइस्पीड कॉरिडोर के कार्य के लिए डीपीआर सौंप दी गयी है और वर्तमान में प्रगति पर है.‘ यह जानकारी राज्यसभा में जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा के तारांकित प्रश्न के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दी गयी है.
– जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा के तारांकित प्रश्न पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी – बिहार के लिए गेम चेंजर साबित होगी परियोजना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जाना-आना होगा सुगम, बढ़ेगा व्यापार संवाददाता, पटना ‘गोरखपुर-सिलीगुड़ी हाइस्पीड कॉरिडोर के कार्य के लिए डीपीआर सौंप दी गयी है और वर्तमान में प्रगति पर है.‘ यह जानकारी राज्यसभा में जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा के तारांकित प्रश्न के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दी गयी है. श्री झा के तारांकित प्रश्न के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तर दिया था कि डीपीआर पहला चरण है, फिर अलाइनमेंट और उसके बाद भूमि अधिग्रहण होता है. इसके बाद विस्तृत जानकारी दी गयी है. अब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा राज्यसभा सांसद संजय कुमार को उपलब्ध करायी गयी जानकारी में बताया गया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास एक लगातार प्रक्रिया है. मंत्रालय को उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न राज्य सरकारों से राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा, उन्नयन और विकास के लिए प्रस्ताव प्राप्त होते रहते हैं. इस संबंध में मानदंडों की पूर्ति, कनेक्टिविटी की आवश्यकता, परस्पर प्राथमिकता और निधियों की उपलब्धता सहित पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ तालमेल के आधार पर निर्णय लिये जाते हैं. गोरखपुर-सिलीगुड़ी हाइस्पीड कॉरिडोर के लिए डीपीआर का प्रश्न है, कार्य के लिए डीपीआर सौंप दिया गया है और वर्तमान में प्रगति पर है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाले गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे को बिहार के लिए गेम चेंजर परियोजना माना जा रहा है. यह बिहार में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, फारबिसगंज, किशनगंज आदि जिलों से गुजरेगा. इससे बिहार से न सिर्फ उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जाना-आना सुगम हो जायेगा, बल्कि व्यापार के नये रास्ते भी खुलेंगे. इस एक्सप्रेस-वे का पूरा हिस्सा ग्रीनफील्ड होगा.
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