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Dr APJ Abdul Kalam Jayanti: विश्व छात्र दिवस आज, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर पढ़ें विशेष लेख

Dr APJ Abdul Kalam Jayanti: डॉ कलाम शिक्षा के प्रबल समर्थक थे और मानते थे कि छात्रों में दुनिया में बड़ा बदलाव लाने की शक्ति है. पढ़ें डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर विशेष लेख

Dr APJ Abdul Kalam Jayanti

अनुराग प्रधान@पटना
आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती है. हर वर्ष 15 अक्तूबर डॉ कलाम की जयंती को ‘विश्व छात्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. यह दिन छात्रों को यह बताता है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत, समर्पण और सही दिशा में प्रयास करना आवश्यक है. डॉ कलाम शिक्षा के प्रबल समर्थक थे और मानते थे कि छात्रों में दुनिया में बड़ा बदलाव लाने की शक्ति है. वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विशेषकर मिसाइल विकास और अंतरिक्ष अनुसंधान में अपने काम के लिए जाने जाते थे, लेकिन उनमें युवाओं को पढ़ाने और प्रेरित करने का भी विशेष जुनून था. आज इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं अपने शहर के कुछ इनोवेटिव छात्रों के बारे में, जिन्होंने ऐसे आविष्कार व शोध किये हैं, जिनमें समाज में बदलाव लाने की क्षमता है.

विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में छात्रों व शिक्षकों ने की नये तकनीक की खोज

  1. स्पीड ब्रेकर से बिजली पैदा करने की खोज की, मिला पेटेंट – डॉ शैलेश एम पांडेय, छात्र, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, एनआइटी
    अब विभिन्न जगहों पर लगे स्पीड ब्रेकर से भी विद्युत उत्पन्न कर यातायात लाइट को संचालित किया जा सकता है. एनआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ शैलेश एम पांडेय ने इसमें सफलता हासिल की है. इसमें एक स्पीड ब्रेकर से सालाना 1356.2 किलोवाट विद्युत तैयार किया जा सकता है. इस बिजली का उपयोग यातायात लाइट के साथ-साथ स्ट्रीट लाइट जलाने में किया जा सकता है. पर्यावरण संतुलन के उद्देश्य से किये गये इस रिसर्च को पेटेंट भी मिल गया है. अब इसके संचालन के मॉडल को लेकर आगे की कवायद की जा रही है. प्रो शैलेश ने बताया कि इस नवाचार में बीटेक छात्र आनंद पांडेय, एमटेक छात्र राकेश सिंघला ने भी सहयोग किया है.

सीएसआइआर से मिल चुकी है स्वीकृति

केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर) नयी दिल्ली ने इस नवाचार को अनुमोदित करते हुए परिवहन मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी है. इस आविष्कार का मुख्य उद्देश्य स्पीड ब्रेकर से हरित ऊर्जा उत्पन्न करना है. यह उपयोग के लिए ईंधन रहित, सबसे सस्ती बिजली प्रदान करना है, जो हर प्रकार से प्रदूषण रहित है.

ऐसे काम करता है यह मॉडल

प्रो शैलेश एम पांडेय ने बताया कि यह प्रक्रिया वाहनों के द्वारा उत्पन्न होने वाली गतिज ऊर्जा का उपयोग करती है और इसे यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है. इसके एक विशेष मेकेनिज्म का उपयोग करते हैं, जिसमें दो-तरफा रैक और पिनियन व्यवस्था शामिल होती है. जब वाहन स्पीड ब्रेकर पर से गुजरता है, तो यह रैक को नीचे धकेल देता है, जिससे पिनियन व्यवस्था के माध्यम से यांत्रिक ऊर्जा का उत्पादन होता है. उत्पन्न की गयी यांत्रिक ऊर्जा को फिर विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है. इसके लिए, हम एक जेनरेटर का उपयोग करते हैं जिसे यह ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है.

  1. सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित करने वाला बनाया खास प्लेट -डॉ अनिल व विकास कुमार, शिक्षक, बख्तियारपुर इंजीनियरिंग कॉलेज
    बख्तियारपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग के दो शिक्षक डॉ अनिल सिंह यादव (सह-प्राध्यापक एवं नवाचार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष) और विकास कुमार (सहायक प्राध्यापक) ने गर्म हवा को अवशोष करने वाला एक खास प्लेट डिजाइन किया है. जिसे पेटेंट भी मिल चुका है. इस अभिनव डिजाइन को भारत सरकार के पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय (भारतीय पेटेंट कार्यालय) द्वारा पंजीकृत कर मान्यता प्रदान कर दी गयी है. डॉ अनिल सिंह यादव कहते हैं, सौर संग्राहक का अवशोषक प्लेट एक महत्वपूर्ण घटक है, जो सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित कर उसे हवा में स्थानांतरित करता है. यह प्लेट आमतौर पर धातु की बनी होती है, जैसे कि तांबा, एल्यूमीनियम या स्टील. इसे काले रंग में रंगा जाता है, ताकि यह अधिकतम सौर विकिरण को अवशोषित कर सके. अवशोषक प्लेट के पीछे की तरफ, धातु की ट्यूब या पाइप लगे होते हैं, जिनसे हवा गुजरती है.

जब सूर्य की किरणें अवशोषक प्लेट पर पड़ती हैं, तो प्लेट गर्म हो जाती है. यह गर्मी फिर प्लेट के पीछे लगी ट्यूबों से गुजरने वाली हवा में स्थानांतरित हो जाती है. गर्म हवा का उपयोग अंतरिक्ष हीटिंग, फसल सुखाने या औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए किया जा सकता है. अवशोषक प्लेट के डिजाइन और सामग्री का चुनाव सौर संग्राहक की दक्षता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है. यह अच्छी तरह से डिजाइन की गयी है. अवशोषक प्लेट अधिकतम सौर विकिरण को अवशोषित करेगी और इसे न्यूनतम नुकसान के साथ हवा में स्थानांतरित करेगी. सौर संग्राहक के लिए एक अभिनव अवशोषक प्लेट का डिजाइन किया जो सामान्य अवशोषक प्लेट की तुलना में अधिक दक्ष है.

  1. ट्रेनों में अब हवा से चलेंगे पंखे, बिजली की होगी बचत – पीयूष, तुषार, आर्यन व मुकुल, छात्र, बख्तियारपुर इंजीनियरिंग कॉलेज
    पटना के बख्तियारपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने एक ऐसा कारनामा करके दिखाया है, जिसकी मदद से ट्रेनों में अब हवा की मदद से पंखे चलेंगे. बख्तियारपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने प्राकृतिक वायु प्रवाह प्रणाली का डिजाइन विकसित किया है. भारत सरकार ने छात्रों की इस डिजाइन को पेटेंट दे दिया है. इस तकनीक की मदद से ट्रेनों में बिजली की खपत कम करने में मदद मिलेगी. इस डिजाइन को भारत सरकार के पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय (भारतीय पेटेंट कार्यालय) द्वारा पंजीकृत कर मान्यता प्रदान की गयी है. इस उपलब्धि के पीछे यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ अनिल सिंह यादव का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

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प्रो यादव, महाविद्यालय के नवाचार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी हैं. प्रोफेसर डॉ यादव ने बताया कि हमारे बीटेक आठवें सेमेस्टर के छात्रों पीयूष कुमार, तुषार सिन्हा, आर्यन गुप्ता और मुकुल कुमार ने भारतीय ट्रेन के जनरल कोच एवं स्लीपर कोच में पंखों से होने वाली बिजली की खपत को कम करने के लिए प्राकृतिक हवादार वायु प्रवाह प्रणाली का नया डिजाइन बनाया है. परंपरागत भारतीय ट्रेन के जनरल कोच एवं स्लीपर कोच में बिजली से चलने वाले पंखे लगे होते हैं, जो हमेशा चलते रहते हैं जिसके कारण जरूरत न होने पर भी बिजली की खपत होती रहती है. जिससे लाखों रुपये की ऊर्जा बर्बाद होती है. सामान्य तौर पर एक भारतीय ट्रेन में स्लीपर और जनरल मिलाकर 15 कोच होते हैं. हर एक कोच में नौ कंपार्टमेंट होते हैं. हर एक कंपार्टमेंट में तीन पंखे लगे होते हैं. इस हिसाब से एक ट्रेन में 405 पंखे लगे होते हैं और प्रत्येक पंखे की ऊर्जा खपत लगभग 75 वाट होती है. इस प्रकार से यदि एक ट्रेन में यह सभी पंखे 12 घंटे चलते हैं तो बिजली खपत 365 यूनिटी होती है. अगर सभी पंखे 24 घंटे चलते हैं, तो बिजली खपत 730 यूनिट होती. इसी बिजली खपत को बचाने के मकसद से छात्रों ने भारतीय ट्रेनों के कोच के लिए प्राकृतिक हवादार वायु प्रवाह प्रणाली का डिजाइन तैयार किया है.

  1. आइआइटी के छात्रों ने बनाया पोर्टेबल व्हीकल – आकाश, जितेंद्र व सिद्धांत, आइआइटी इक्यूबेशन सेंटर
    आइआइटी इक्यूबेशन सेंटर में स्टूडेंट्स द्वारा पोर्टेबल व्हीकल तैयार किया जा रहै है. इसका उपयोग पब्लिक पैलेस में लोग आसानी से कर सकेंगे. यह इलेक्ट्रिक ऑपरेटेड है और काफी छोटा भी. सीइआइआर मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड के आकाश ने बताया कि इसका रेंज काफी अच्छा होगा. सिंगल चार्जिंग में दो दिन चलेगा. सभी एज ग्रुप के लिए यह काफी कंफर्ट होगा. एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन के साथ-साथ अन्य पब्लिक पैलेस पर भी लोग इसे आसानी से यूज कर सकेंगे. इसका फाइनल मॉडल तैयार हो गया है. मार्केट में जल्द ही आ जायेगा. इसे तैयार करने वाले सीइआइआर मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड के युवा इंजीनियर आकाश, जितेंद्र पारित व सिद्धांत हैं.

  1. साइबर हमलों से बचायेगा एल्गोरिदम – अभिनय, अमित, प्रभात व एम मागरिनी, आइआइटी पटना
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (एआइ और एमएल) तकनीकों की क्षमता में सुधार के लिए खास तरह पहल की गयी है. इसके निर्माण टीम में आइआइटी पटना के डॉ अभिनय कुमार, आइआइटी इंदौर के अमित कुमार नायक, प्रभात उपाध्याय व इटली से एम मागरिनी शामिल हैं. अभिनय कहते हैं नये एस्टिमेशन एल्गोरिदम की सहायता से साइबर हमले को कम किया जा सकता है. एस्टिमेशन एल्गोरिदम साइबर हमलों हमलों के दौरान कुशलतापूर्वक प्रदर्शन करता है. यह तकनीक डिफेंस, टारगेट ट्रेकिंग, युद्ध रिमोट मेडिकल सर्जरी, ड्रोन आदि में इस्तेमाल करने पर कारगर साबित होगी.

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