संवाददाता, पटना
हो बुजदिल की कद्र, दोस्त यह बात बहुत खोटी है, गद्दारों को सजा-ए-मौत की सजा भी काफी छोटी है. मौत की सजा से बढ़कर होती अगर जहां में कुछ, देता तुझको वही, किंतु ऐसी कुछ सजा कहां है. मो गौरी इसी संवाद के साथ जयचंद को सजा दे रहा होता है. जिसने अपने स्वार्थ के लिए देश के साथ गद्दारी की थी. काव्य की कुछ ऐसी पंक्तियां जिसके बहाने कलाकार इतिहास के पन्नों में दर्ज देशभक्त पृथ्वीराज चौहान की शौर्य गाथा को पेश कर रहे थे. वहीं मो गौरी को पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए कन्नौज के राजा जयचंद को सहयोग करते दिखाया गया. यह दृश्य फाउंडेशन फॉर आर कल्चर एथिक्स एंड साइंस (फेसेस) के बैनर तले डॉ छोटू नारायण सिंह द्वारा लिखित व सुनिता भारती द्वारा निर्देशित नाटक जयचंद के आंसू में देखने को मिला. शनिवार को शास्त्री नगर स्थित राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय में नाटक का मंचन किया गया. नाटक में दिखाया गया कि पृथ्वीराज चौहान का राजकुमारी संयोगिता का हरण कर कन्नौज से ले जाने के बाद राजा जयचंद को यह अपमान सीने में तीर की तरह चुभ रहा था. वह किसी भी कीमत पर पृथ्वीराज का विनाश चाहता था. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विद्यालय के प्राचार्य प्रमोद कुमार व उपप्रधानाचार्य विधु मंगल सिंह ने नाटक का शुभारंभ किया. शुभम सिंह ने कार्यक्रम का संचालन एवं सुनिता भारती ने अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है