COVID-19 Bihar : कोरोना का निगेटिव रिपोर्ट लेकर बुजुर्ग महिला लगाती रही PMCH में चक्कर, भर्ती नहीं होने से हालत हुई गंभीर
COVID-19 Patna पटना: पेट व कमर में असहनीय दर्द के बावजूद एक 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला को दो घंटे तक पीएमसीएच का चक्कर लगाने के बावजूद भर्ती नहीं किया गया. थक-हार कर महिला वापस पटना स्थित अपने रिश्तेदार के घर चली गयी. गुरुवार की दोपहर करीब 12:30 बजे सीतामढ़ी की 85 वर्षीय उर्मिला देवी पीएमसीएच के वार्डों का चक्कर काटती दिखीं. हालत गंभीर होने पर परिजन उनको सीतामढ़ी से लेकर पीएमसीएच आये थे. उनके पास कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट भी थी. लेकिन, अस्पताल के डॉक्टर अगले दिन कोरोना जांच व रिपोर्ट निगेटिव लाने की बात कह महिला का इलाज करने से मना कर दिया.
पटना: पेट व कमर में असहनीय दर्द के बावजूद एक 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला को दो घंटे तक पीएमसीएच का चक्कर लगाने के बावजूद भर्ती नहीं किया गया. थक-हार कर महिला वापस पटना स्थित अपने रिश्तेदार के घर चली गयी. गुरुवार की दोपहर करीब 12:30 बजे सीतामढ़ी की 85 वर्षीय उर्मिला देवी पीएमसीएच के वार्डों का चक्कर काटती दिखीं. हालत गंभीर होने पर परिजन उनको सीतामढ़ी से लेकर पीएमसीएच आये थे. उनके पास कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट भी थी. लेकिन, अस्पताल के डॉक्टर अगले दिन कोरोना जांच व रिपोर्ट निगेटिव लाने की बात कह महिला का इलाज करने से मना कर दिया.
कोरोना का बहाना बना जिम्मेदार अधिकारियों से मिलने से सिक्योरिटी गार्डों ने किया मना
दर्द से कराहती महिला को जब चलने में परेशानी होने लगी, तो पीएमसीएच में ही परिजनों ने एक ऑटो रिजर्व किया और एक से दूसरे वार्ड का चक्कर लगाते रहे. परिजनों की मानें, तो वह अधीक्षक कार्यालय व प्रिंसिपल कार्यालय के पास भी ऑटो लेकर गयीं. गेट के बाहर सुरक्षा में लगे सिक्योरिटी गार्डों से मामले की जानकारी दी. लेकिन, सभी ने कोरोना का बहाना बना जिम्मेदार अधिकारियों से मिलने से मना कर दिया़
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क्या कहती है मरीज की बेटी
अचानक असहनीय दर्द के बाद सीतामढ़ी से पटना लाया गया. मुझे पता था कि भर्ती होने से पहले कोरोना जांच करायी जाती है, इसलिए मैं सीतामढ़ी से ही कोरोना का निगेटिव रिपोर्ट साथ लेकर आयी. बावजूद डॉक्टरों ने फिर से कोरोना जांच इलाज करने की बात कही़ं
उषा देवी, मरीज की बेटी
मरीज के बेटे ने बताई यह बात…
मां का दर्द जब काफी बढ़ गया, तो मैं एक ऑटो रिजर्व किया और एक से दूसरे वार्ड का चक्कर लगाता रहा. लेकिन, भर्ती तो दूर कोई भी डॉक्टर देखने तक नहीं आया. हालत खराब होते देख अपने एक संबंधी के घर गये. अब किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने की तैयारी की जा रही है़
राकेश कुमार, मरीज का बेटा
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya