दरभंगा में पैसे के अभाव में नवजात को अस्पताल में छोड़कर भागे मां-बाप, जानें फिर क्या हुआ
मधुबनी जिले के रहने वाले एक दम्पत्ति ने अपने बच्चे को इलाज के लिए पिछले 19 नवंबर को एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. जब उन्हें अस्पताल की मोटी फीस के बारे में पता चला तो आर्थिक रूप से कमजोर पति-पत्नी बच्चे को वहीं अस्पताल में छोड़ चुपके से 12 दिसंबर को घर चले गये.
पैसे के अभाव में दरभंगा जिले के दोनार स्थित एक निजी अस्पताल में इलाजरत अपने नवजात बच्चे को छोड़ कर मां-बाप घर चले गये. सूचना मिलने पर चाइल्ड लाइन इस मां-बाप के लिए बड़ा सहयोगी बनकर सामने आया और अस्पताल से शुल्क को माफ करा कर मां-पिता को बच्चा सौंप दिया. बीमार बच्चे को इलाज के लिए सोमवार को डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में भर्ती करवाया गया है. जहां डॉक्टरों की देख रेख में बच्चे का इलाज चल रहा है.
जानकारी के अनुसार, मधुबनी जिले के लौकही थाना क्षेत्र के छातापुर गांव के संजय कुमार शर्मा व ममता देवी ने बच्चे को इलाज के लिए पिछले 19 नवंबर को एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. जब उन्हें अस्पताल की मोटी फीस के बारे में पता चला तो आर्थिक रूप से कमजोर पति-पत्नी बच्चे को वहीं अस्पताल में छोड़ चुपके से 12 दिसंबर को घर चले गये.
घर जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने जब उन्हें कल किया तो उन्होंने कहा कि न तो बच्चे के पास आयेंगे और न ही बच्चा ले जायेंगे. बच्चा का जो करना है करें. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने चाइल्ड लाइन के टॉल फ्री नंबर 1098 पर फोन कर इस बात की जानकारी दी. सूचना प्राप्त होने के बाद चाइल्ड लाइन के परामर्शी सच्चिदानंद झा, पंकज कुमार चौधरी हॉस्पिटल पहुंचे. बच्चे से संबंधित जानकारी बाल कल्याण समिति, दरभंगा को देकर आगे की कार्रवाई का आग्रह किया.
समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार झा भी अस्पताल पहुंचे. चाइल्ड लाइन केंद्र समन्वयक अराधान कुमारी व वन स्टॉप सेंटर के केंद्र प्रबंधक अजमातुन निशा ने मधुबनी चाइल्ड लाइन को सूचना देकर उन्हें बच्चे के माता-पिता से संपर्क कर उन्हें बच्चे के पास भेजने का आग्रह किया. बच्चे के माता पिता ने बताया कि वो बहुत गरीब हैं और उनके पास अस्पताल को देने के लिए पैसे नहीं है. जिसके बाद वीरेंद्र झा ने अस्पताल प्रबंधन से फीस माफ करने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया.