Durga Puja 2022 : पटना के मछुआटोली में तिरंगामय होगा पंडाल, दिखेगी आजादी के अमृत महोत्सव की झलक

पटना के दुर्गोत्सव की खास पहचान है. यहां पिछले दो सौ सालों से सामूहिक दुर्गापूजा का आयोजन हो रहा है. इस वर्ष के आयोजन में भी सभी पूजा समिति जोर शोर से लगी है. मछुआटोली में बनाया जाने वाला पंडाल इस बार आजादी के अमृत महोत्सव की झलक दिखाएगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2022 7:26 AM

पटना शहर में दशहरा और दुर्गा पूजा की तैयारियां हर तरफ दिखने लगी है. यहां दुर्गा पूजा के मौके पर एक से बढ़कर एक पूजा पंडाल और प्रतिमा देखने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ता है. पटना के मछुआटोली में भी एबीसी श्री दुर्गा पूजा समिति पूरे उत्साह के साथ दुर्ग पूजा का आयोजन करती आई है. यहां की प्रतिमा हर साल आकर्षक और भव्य होती है.

मुख्य सड़क के किनारे पूजा का आयोजन

मछुआटोली में एबीसी श्री दुर्गा पूजा समिति द्वारा 62 साल से लगातार पूजा का आयोजन किया जा रहा है. पहले मछुआटोली स्कूल के मैदान में प्रतिमा बैठायी जाती थी, लेकिन वक्त बदलने के साथ स्थान में परिवर्तन हो गया. अब मछुआटोली की मुख्य सड़क के किनारे पूजा का आयोजन किया जा रहा है.

1960 में स्थापित हुई पूजा समिति 

1960 में स्थापित एबीसी श्री दुर्गा पूजा समिति की ओर से इस बार दुर्गा की 18 फुट ऊंची भव्य और आकर्षक प्रतिमा तैयार हो रही है. 10 भुजाओं से एक साथ मां आशीर्वाद देंगी. साथ ही महा सरस्वती, महाकाली और महालक्ष्मी की प्रतिमाएं होंगी. प्रतिमा का निर्माण कोलकाता के प्रसिद्ध कलाकार संजीव पाल और असीम पाल की टीम कर रही है. प्रतिमा निर्माण को लेकर छह माह पहले ही समिति की बैठक होती है, उसमें प्रतिमा निर्माण को लेकर फैसला लिया जाता है.

पूरा पंडाल तिरंगामय होगा

वहीं पंडाल का निर्माण स्थानीय कलाकर द्वारा किया जा रहा है, जो लगभग 40 फुट चौड़ा और 25 फुट ऊंचा होगा. इस बार आजादी के 75वें साल पर अमृत महोत्सव के तहत पूरा मछुआ टोली इलाका और पंडाल तिरंगामय होगा. इस इलाके के घर-घर में तिरंगा लहराता दिखेगा.

Also Read: Durga Puja 2022 : पटना में दिखेगा इंडोनेशिया का प्रंबानन मंदिर, जानिए डाकबंगला चौराहे के पंडाल की खासियत
तीन दिन बंटेगा प्रसाद

यहां पूजा पंडाल में प्रसाद के रूप में सप्तमी को फल व मिठाई, महाष्टमी को हलवा व चना, महानवमी को खिचड़ी और सब्जी का वितरण किया जाता है. लगभग 30 हजार से अधिक श्रद्धालु हर वर्ष यहां प्रसाद ग्रहण करते हैं.

Next Article

Exit mobile version