Durga Puja : एसके पुरी पंडाल में मौर्य काल के आधार पर होगी मां की प्रतिमा, दिखेगा इस्कॉन का प्रवेश द्वार

एसके पुरी में इस बार पंडाल की ऊंचाई लगभग 60 फीट और चौड़ाई 50 फीट का होगा. पंडाल का निर्माण अनिल कुमार को दिया गया है. दुर्गोत्सव के दौरान यहां आठ से दस लाख श्रद्धालु मां की प्रतिमा का दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने और पंडाल की बनावट देखने आते हैं

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2022 6:47 AM
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पटना में दुर्गा पूजा को लेकर हर तरफ जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं. शहर में हर तरफ भव्य पूजा पंडाल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. पटना के एसके पुरी में भी हर साल की तरह इस साल भी एक अलग थीम पर पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. एसके पुरी में पूजा का आयोजन एसके पुरी पूजा समिति करती है. यह पूजा समिति पिछले साठ सालों से यहां पूजा का आयोजन करती आ रही है.

इस्कॉन मंदिर के मेन गेट का प्रतिरूप

इस वर्ष एसके पुरी पूजा समिति की ओर से बुद्ध मार्ग स्थित इस्कॉन मंदिर के मेन गेट का प्रतिरूप तैयार कराया जा रहा है. इस पूजा समिति की खासियत यह है कि लोकल कलाकारों को पंडाल, प्रतिमा और सजावट की जिम्मेवारी दी जाती है.

तीन हजार वर्गफीट में मंदिर का प्रवेश द्वार

यहां इस बार लगभग तीन हजार वर्गफीट में मंदिर का प्रवेश द्वार होगा. इस बार पंडाल की ऊंचाई लगभग 60 फीट और चौड़ाई 50 फीट का होगा. पंडाल का निर्माण अनिल कुमार को दिया गया है. दुर्गोत्सव के दौरान यहां आठ से दस लाख श्रद्धालु मां की प्रतिमा का दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने और पंडाल की बनावट देखने आते हैं. पूजा में लगभग 15 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है.

मौर्य काल के आधार पर प्रतिमाएं बन रही

इस बार एसके पुरी में मौर्य काल के आधार पर मां की प्रतिमाएं बन रही है. मां की प्रतिमा की लंबाई 14 फीट की होगी. प्रतिमा निर्माण की पटना आर्ट काॅलेजों के छात्र रमण कुमार की टीम कर रही है. मूर्ति के निर्माण में केवल इको फ्रेंडली वस्तुओं का ही प्रयोग किया जाता है.

1962 से हो रही है पूजा 

यहां मां दुर्गा के रौद्र रूप की पूजा -अर्चना की जाती है. यहां का आरती काफी भव्य होता है. यहीं कारण की आरती के दौरान हजारों की भीड़ जुटती है. समिति की ओर से 1962 से मां दुर्गा की पूजा हो रही है. समिति की ओर से लगभग एक किलोमीटर में लाइटिंग लगायी जायेगी. लाइटिंग बोरिंग रोड मोड़ से लेकर एएन कॉलेज तक होगी.

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तीन तरह का प्रसाद

सप्तमी को हलवा का भोग लगता है.

अष्टमी को खीर

नवमी को खिचड़ी का महाभोग लगाया जाता है.

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