पटना के दुर्गा उत्सव को यादगार बनाने के लिए हर पूजा समिति अलग-अलग रूपों में मां दुर्गा की मूर्तियों का निर्माण कराते हैं. कुछ पूजा समितियां पश्चिम बंगाल से मूर्तिकार को आमंत्रित करते हैं, तो कुछ मुंगेर के, तो कुछ स्थानीय मूर्तिकारों को तवज्जो देते हैं. पर श्रीश्री दुर्गा पूजा समिति दुर्गाश्रम शेखपुरा (बेली रोड) गया शहर के परंपरागत मूर्तिकारों को तवज्जो देती हैं. यही कारण है कि यहां विराजमान होने वाली प्रतिमाएं गया से बनकर आती हैं. इस बार भक्तों को दुर्गाश्रम शेखपुरा में चलंत प्रतिमाओं का दर्शन करने का मौका मिलेगा.
पूजा समिति के सचिव रंजीत कुमार कहते हैं कि आशीर्वादी मां के रूप में यहां मां दुर्गा की पूजा होती है. पूजा पंडाल में मां दुर्गा के अलावा भगवान गणेश, शंकर, नारद और राक्षस की प्रतिमा गया से बनकर आयेगी. यहां बने पंडाल में मां दुर्गा राक्षस का वध तीर से करती दिखेंगी. सभी मूर्तियों का निर्माण शुभम कुमार की टीम कर रही है. प्रतिमाएं षष्ठी को पटना पहुंच जायेगी.
‘बेटी की पुकार’ थीम पर इस साल यहां पूजा पंडाल बनाया जा रहा है. इसमें दिखाया जायेगा कि घने जंगल में गणेश जी, भगवान शंकर, नारद मुनि, मां दुर्गा और राक्षस भ्रमण कर रहे हैं. तभी जंगल में एक लड़की आती है. राक्षस लड़की का वध करना चाहता है. भगवान शंकर लड़की को बचाने पहुंचते हैं. राक्षस भगवान शंकर को अपने वश में किये रहता है. भगवान शंकर मां दुर्गा का आह्वान करते हैं. माता रानी आती हैं और बच्ची को गोद में लेकर तीर से राक्षस का वध कर देती हैं. यहां का पूजा पंडाल लगभग 50 फुट लंबा और 40 फुट चौड़ा होगा .
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यहां प्रसाद के रूप में सप्तमी को हलवा, महा अष्टमी को खीर और महा नवमी को खिचड़ी का भाेग लगाया जाता है. पूजा के इन तीन दिनों के दौरान 40 हजार से अधिक श्रद्धालु यहां प्रसाद ग्रहण करते हैं.