Durga Puja: पटना में दुर्गा उत्सव की तैयारियां जोरों पर, शुभ संयोग में होगी पूजा पंडालों में कलश स्थापना
Durga Puja: मां दुर्गा की उपासना को लेकर पटनाइट्स काफी उत्साहित हैं. शहर में पूरे जोर-शोर से दुर्गा उत्सव की तैयारियां चल रही हैं. कल महालया मनाया जायेगा और परसों यानी गुरुवार को ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में घरों, दुर्गा मंदिरों से लेकर पूजा पंडालों तक में कलश स्थापना होगी. कलश स्थापना के साथ नौ देवियों की पूजा शुरू की जायेगी. यह नवरात्र प्रतिपदा से शुरू होगी. कलश स्थापना को लेकर इन दिनों पूजन सामग्री, मां की पोशाक, चुनरी और कलश आदि की मांग बढ़ी है. भक्त कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री खरीदने बाजार पहुंच रहे हैं.
Durga Puja: शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में तीन अक्तूबर (गुरुवार) को हस्त नक्षत्र, ऐंद्र योग एवं जयद् योग के साथ बुध प्रधान कन्या राशि में चंद्र व सूर्य की उपस्थिति में शुरू होगा. नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होगी. शारदीय नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जायेगी. सनातन धर्मावलंबी निराहार या फलाहार रहते हुए अपने घर, मंदिर व पूजा पंडालों में घट स्थापना के बाद दुर्गा सप्तशती, रामचरितमानस, सुंदरकांड, रामरक्षा स्त्रोत्र, दुर्गा सहस्त्र नाम, अर्गला, कवच, कील, सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र आदि का पाठ आरंभ करेंगे.
ज्योतिषाचार्य श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि मां दुर्गा की सवारी जब डोली या पालकी पर आती है, तो यह अच्छा संकेत नहीं है. मां दुर्गा का डोली पर आना सभी के लिए चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है. अर्थव्यवस्था गिरने से लोगों का काम-धंधा मंदा पड़ने की आशंका है.
वार से होता है देवी के आगमन व गमन का निर्णय
आचार्य राकेश झा ने कहा कि देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र के प्रथम दिन और अंतिम दिन में जो वार होता है, उसी से देवी के आगमन व गमन का निर्णय होता है. नवरात्र के पहले दिन रविवार व सोमवार रहने पर देवी का आगमन गज पर, मंगलवार व शनिवार को घोड़ा पर, गुरुवार व शुक्रवार को डोली पर, बुधवार को नौका पर होता है. वहीं, नवरात्र के अंतिम दिन यानी विजयादशमी को रविवार व सोमवार होने पर देवी की विदाई महिष पर, मंगलवार व शनिवार को चरणायुध पर, बुधवार व शुक्रवार को हाथी पर और गुरुवार को नर वाहन पर होती है.
नौ दिन नौ देवियों को लगाएं उनकी पसंद का भोग
श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की उपासना होती है. इनमें मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की उपासना होती है. नवरात्र के नाै दिन नौ देवियों को अलग-अलग भोग लगाया जाता है. किसी देवी को नारियल, किसी को गाय का घी, गुड़, मालपुआ, खीर, हलवा और इसी तरह चना व पूड़ी का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है.
एक ही दिन मनेगा महाष्टमी व महानवमी
ज्योतिषी राकेश झा ने बताया कि शारदीय नवरात्र में चतुर्थी तिथि दो दिन छह व सात अक्तूबर को रहेगी. वहीं, महाष्टमी व महानवमी का व्रत एक ही दिन 11 अक्तूबर (शुक्रवार) को किया जायेगा. नवरात्र के दौरान एक तिथि की वृद्धि और दो तिथि एक दिन हो जाने से दुर्गा पूजा पूरे 10 दिनों का रहेगा.
कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त
- प्रतिपदा तिथि सुबह से देर रात तक
- हस्त नक्षत्र शाम 03:30 बजे तक
- शुभ योग मुहूर्त प्रातः 05:44-07:12 बजे तक
- चर मुहूर्त सुबह 10:10-11:38 बजे तक
- लाभ मुहूर्त दोपहर 11:38- 01:07 बजे तक
- अमृत मुहूर्त दोपहर 01:07-02:35 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:15-12:02 बजे तक
- शुभ मुहूर्त शाम 04:04-05:33 बजे तक
मां दुर्गा के नौ रूपों की जानें खासियत
- शैलपुत्री : दुर्गा के इस रूप से हमें स्वाभिमानी बनने की प्रेरणा मिलती है.
- ब्रह्मचारिणी : मां का यह यह रूप तपस्या का प्रतीक है.
- चन्द्रघण्टा : संदेश मिलता है कि संसार में सदा प्रसन्न होकर जीवन यापन करना चाहिए.
- कूष्माण्डा : मां का यह स्वरूप हमें संसार में स्त्री का महत्व समझाता है.
- स्कंद माता : मां का यह रूप हमें बताता है कि स्त्री हो या पुरुष, हर कोई ज्ञान प्राप्त करने का अधिकारी है.
- कात्यायनी : यह रूप घर-परिवार में बेटी की महत्ता को बताता है.
- काल रात्रि : मां का यह रूप हमें स्त्री के भीतर विद्यमान अपार शक्ति का भान कराता है.
- महागौरी : मां का यह रूप हमें हर परिस्थिति में संयमित रहने की सीख देता है.
- सिद्धिदात्री : मां सिद्धिदात्री यानी हर सिद्धि को देने वाली हैं. स्त्रियों में भी यह गुण विद्यमान होता है.
शहर में पंडाल लेने लगे आकार
शहर में पंडालों का आकार सामने आने से पटनाइट्स काफी उत्सुक हैं. डाकबंगला, बंगाली अखाड़ा, डोमन भगत लेन, राजा बाजार, कंकड़बाग, दानापुर, रामनगरी, कुर्जी, बोरिंग रोड चौराहा, आवास बोर्ड हनुमान नगर आदि कई जगहों पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा अर्चना की जायेगी.
पूजन सामग्रियों का सजा बाजार
दुर्गा उत्सव को लेकर शहर के बाजार पूजन सामग्रियों से सज गये है. पूजा के लिए मिट्टी के कलश, नारियल, चुनरी, रोली, घी, धूप बत्ती, अगरबत्ती, हुमाद, सुपारी, जौ, कपूर सहित पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री की लोग खरीदारी कर रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि महंगाई के कारण लोगों के घर का बजट भले ही गड़बड़ा रहा है, लेकिन देवी की आराधना करने में भक्त कोई कमी नहीं करते दिख रहे हैं. श्रद्धालुओं के बजट के अनुसार पूजन सामग्री मौजूद हैं. नौ दिन के व्रत में अन्न से परहेज किया जाता है, इसलिए बाजार में कुट्टू, सिंघाड़ा और साबूदाना अन्य सामग्रियों के भी स्टॉक दुकानदारों ने कर रखा है.
नवरात्र व्रत में सेहत का भी रखें ध्यान
श्रद्धालुओं के लिए उपवास का अपना एक विशेष महत्व है, लेकिन इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि उपवास के दौरान शरीर पर भी असर पड़ता है. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि उपवास के दौरान शरीर की अनदेखी नहीं करें. व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं का डॉक्टर की सलाह वरिष्ठ फिजिशियन डॉ बिमल राय ने बताया कि उपवास का निर्णय व्यक्तिगत है, परंतु अगर आप डायबिटीज से ग्रस्त हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए.
उपवास के दौरान आपके आहार व जीवन-शैली में बदलाव आता है, जिस पर अगर ध्यान न दिया जाये तो यह स्थिति कभी-कभी हानिकारक साबित हो सकती है. उपवास से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधित जटिलताओं के बारे में विचार करने के बाद ही व्रत रखने का निर्णय लें, जो लोग डायबिटीज और हाई ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए दवाई का सेवन करते हैं, उन्हें उपवास रखने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए.
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ये लोग न रखें व्रत
- टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को उपवास नहीं रखना चाहिए.
- जिन लोगों का ब्लड शुगर अनियंत्रित है, उन्हें भी उपवास नहीं रखना चाहिए.
ये लोग करें व्रत
- जिन लोगों का ब्लड प्रेशर और डायबिटीज नियंत्रित है, वे उपवास रख सकते हैं.
- जिन लोगों ने दवाओं, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वास्थ्यकर जीवनशैली के जरिए डायबिटीज और हाई ब्लडप्रेशर को नियंत्रण में कर रखा है, वे लोग उपवास रख सकते हैं.
व्रत के लिए डाइट चार्ट
- सुबह के समय (7 से 7.30 बजे) गुनगुना नींबू पानी (बिना शक्कर) और नारियल पानी.
- नाश्ते के समय (8 से 8.30 बजे) दही / सिंघाड़ा का चीला
- सुबह (10 से 10.30 बजे) तक 1 मौसमी फल.
- दोपहर का भोजन (1 से 1.30 बजे) तक मिले-जुले मौसमी फलों की चाट (अनार, कीवी, अनानास, पपीता व केला) साथ ही उबला आलू व मूंगफली ले सकते हैं. इनके साथ में केला और लस्सी भी ले सकते हैं.
- दोपहर के समय (3 से 4 बजे) दूध वाली चाय / कॉफी, साथ में भुनी मूंगफली, मखाना, 4-5 बादाम.
- कुछ घंटे बाद (5 से 5.30 बजे) 1 प्लेट सलाद ( टमाटर, गाजर )
- रात का भोजन (7.30 से 8 बजे) पनीर ग्रेवी/लौकी ग्रेवी और साथ में दूध, बादाम, किशमिश व खजूर.
- सोते समय (9 से 9.30 बजे) अजवाइन पानी या जीरा पानी ले सकते हैं.
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