Dussehra 2022 : पटना के गांधी मैदान में जलेगा बुराई का रावण, गांधी मैदान में 67 साल से हो रहा आयोजन
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में लगतार वर्ष 1954 से दशहरा महोत्सव और रावण दहन कार्यक्रम बिना रुके किया जा रहा है. हालांकि पिछले दो साल कोरोना ने रावण दहन कार्यक्रम पर ब्रेक लगा दिया था. दो साल बाद यह पहला मौका होगा जब इसकी भव्य तैयारी की गयी है.
पटना में विजयादशमी का अपना खास महत्व रहा है. यहां के ऐतिहासिक गांधी मैदान में लगातार वर्ष 1954 से दशहरा महोत्सव और रावण दहन कार्यक्रम बिना रुके किया जा रहा है. हालांकि पिछले दो साल कोरोना ने रावण दहन कार्यक्रम पर ब्रेक लगा दिया था. दो साल बाद यह पहला मौका होगा जब इसकी भव्य तैयारी की गयी है. इस बार की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि, पहली बार विजयादशमी पर प्रदूषण का ख्याल करते हुए इको फ्रेंडली रावण दहन किया जायेगा. पांच अक्तूबर यानि बुधवार को पटना के एतिहासिक गांधी मैदान में विजयादशमी की तैयारी अपने अंतिम चरण में है.
पटना का स्थान दूसरा
भारत-विभाजन के बाद जो पंजाबी बिरादरी पटना में आकर बसे, उन्हीं लोगों ने दशहरा के दिन एक नयी परंपरा की शुरुआत की. उन लोगों ने पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला बनाकर उसे जलाने और आतिशबाजियां कर उत्सव मनाने की शुरुआत की. इस बार भी विजयादशमी पर पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में अभिमानी रावण के सभी अहंकार का अंत हो जायेगा. पटना और दूर-दराज से आये लोग इसके गवाह होंगे. वैसे तो पूरे भारत वर्ष में रावण वध का आयोजन किया जाता है, जिसमें दिल्ली का स्थान पहला और पटना का स्थान दूसरा है.
67 साल से हो रहा आयोजन
वर्ष 1955 में रावण वध का आयोजन किया गया था. इसके लिए बख्शी राम गांधी, मोहन लाल गांधी ने मिलकर वर्ष 1954 में दशहरा कमेटी का गठन किया. इसमें पीके कोचर, राधा कृष्ण मल्होत्रा, मिशन दास सचदेवा, टीआर मेहता और रामनाथ साहनी शामिल थे. वर्ष 1955 में रावण वध का आयोजन गांधी मैदान में हुआ था. रावण वध को देखने के लिए पटना के दस हजार लोग इसके गवाह बने.
कब-कब नहीं हुआ रावण-वध
इस वर्ष ऐसा हुआ जब विशेष कारणों से रावण वध का आयोजन नहीं हुआ. वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1971 में भारत -बांग्ला देश युद्ध के दौरान, वर्ष 1975 में पटना में आयी भीषण बाढ़, कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 में भी आयोजन नहीं हुआ. वर्ष 2021 में भी गांधी मैदान में रावण-वध का आयोजन नहीं हुआ, बल्कि कालिदास रंगालय में प्रतीकात्मक आयोजन हुआ था.
बिहार व राजस्थान के कलाकारों ने की तैयारी
इस बार रावण वध की तैयारी में राजस्थान, गया, डेहरी, सासाराम और पटना के कलाकार लगे हैं. कपड़ा पहनाने की जिम्मेदारी राजस्थान के कलाकार और पटना, गया, डेहरी और सासाराम के कलाकार ढांचा तैयार और रंग- रोगन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. इस बार रावण का पुतला बनाने की जिम्मेदारी गया के 46 वर्षीय मोहम्मद अहमद (अमर आर्ट) को दी गयी है जो पिछले 21 साल से निभा रहे हैं. इससे पहले 1999 तक इसी जिम्मेदारी जमाल अहमद निभाते थे.
राजस्थानी परिधान में दिखेगा रावण
इस बार रावण की लंबाई 70 फुट, कुंभकर्ण की 65 फुट और मेघनाथ पुतले की लंबाई 60 फुट होगा, जो राजस्थानी परिधान में दिखेगा. साथ ही पुतला का मुख दोनों ओर होगा और इस बार रावण के चेहरे पर क्रूरता की झलक लोगों को देखने का मिलेगा.
निकाली जाती है शोभा यात्रा
नागा बाबा ठाकुरबाड़ी (कदमकुआं) से शोभा यात्रा निकाली जाती है जिसमें भगवान राम, लक्ष्मण, हनुमान, जायमंत, सुग्रीव तथा वानर सेना के साथ सज-धज कर शोभा यात्रा निकाली जाती है, जो पटना के विभिन्न मार्गों से होते हुए गांधी मैदान शाम के लगभग साढ़े चार बजे तक पहुंचती है. शोभा यात्रा गांधी मैदान में आने के बाद हनुमान जी घंटा का चक्कर मारते हैं उसके बाद लंका दहन करते हैं. इसके लिए एक भवन याद के रूप में किया जाता है. इस बार यह भवन दो मंजिला होगा. लंका दहन के बाद सीता जी को निकाला जाता है. फिर इसके बाद रावण तथा कुंभकर्ण का वध राम करते हैं तथा मेघनाथ का वध लक्ष्मण करते हैं. वध के तुरंत बाद पटाखे छोड़े जाते हैं. साथ ही राजा रामचंद्र के नाम से पूरा गांधी मैदान गूंजयमान हो उठता है.