पटना : राजधानी पटना में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते जा रहा है. पटना का खाजपुरा इलाका कोरोना हॉटस्पॉट बना चुका है. शहर के हॉट स्पॉट खाजपुरा इलाके में कोरोना वायरस संक्रमित मिलने के बाद एक साल पहले ही मृत हुए जूनियर इंजीनियर की तैनाती कर दी गयी. हालांकि जब मामले की जानकारी मिली तो फिर उनके जगह पर दूसरे मजिस्ट्रेट को तैनात कर दिया गया.
यह मामला कई सवालों को खड़ा कर रहा है कि आखिर एक साल पहले जो व्यक्ति मृत हो गये, उनकी तैनाती कैसे कर दी गयी? इस संबंध में जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि खाजपुरा इलाके में किसी की मृत्यु नहीं हुई है. भवन प्रमंडल दानापुर के पूर्व में दिवंगत जूनियर इंजीनियर राजीव रंजन की प्रतिनियुक्ति लिपिकीय भुलवश खाजपुरा में मजिस्ट्रेट के रूप में कर दी गयी. मामला संज्ञान में आने के उपरांत संशोधित आदेश निर्गत कर अन्य पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति वहां कर दी गयी है.
बताया जाता है कि खाजपुरा में जैसे ही कोरोना वायरस संक्रमित का मामला सामने आया, वैसे ही वहां दो शिफ्टों में छह मजिस्ट्रेट व पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती कर दी गयी. इससे संबंधित आदेश भी निर्गत कर दिया गया. इसमें मृत जूनियर की भी ड्यूटी लगी थी और मोबाइल नंबर भी अंकित था. उनकी ड्यूटी 21 अप्रैल की रात्रि पाली में लगायी गयी थी. लेकिन वे जगह पर नहीं पहुंचे. इसके बाद उनके मोबाइल नंबर पर फोन किया गया तो किसी ने रिसीव नहीं किया. इसके बाद 22 अप्रैल को उनकी खोजबीन शुरू हुई तो पता चला कि उनकी तो एक साल पहले ही मृत्यु हो चुकी है. इसके बाद फिर से आदेश को संशोधित कर नया पत्र निर्गत किया गया.
ड्यूटी लगाने के लिए पत्र जारी कर दिया गया. लेकिन किनकी ड्यूटी लगायी जानी है, पत्र तैयार करते समय कंप्यूटर ऑपरेटर ने भी ध्यान नहीं दिया और न ही जिन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी ने. जिसका नतीजा है कि पत्र निर्गत हो गया. इसके साथ ही राजीव रंजन जो एक साल पहले मृत हो चुके हैं, उनका नाम कैसे आ गया?