संवाददाता, पटना
भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि चुनाव आयोग ने पीएम और भाजपा के बड़े नेताओं द्वारा बार-बार आदर्श आचार संहिता के खुल्लमखुल्ला उल्लंघन की शिकायतों पर कोई कार्रवाई करने से इनकार करके अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है.उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के साथ मतदान के आंकड़ों को जारी करने में आयोग की अनिच्छा एवं देरी ने मौजूदा चुनाव के दौरान चिंताजनक सवाल खड़े कर दिए हैं. मतदान के अंतिम आंकड़ों की घोषणा में अत्यधिक देरी और उन्हें भी केवल प्रतिशत के रूप में घोषित किया जाना तथा अंतिम आंकड़ों में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी की वजह से मतदाताओं और चुनाव पर्यवेक्षकों के बीच चिंताएं बढ़ गयी हैं. दीपंकर ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा दिये अंतिम वोट प्रतिशत के आंकड़े मतदान के दिन या अगली सुबह घोषित आंकड़ों की तुलना में अभूतपूर्व बढ़ोतरी दिखा रहे हैं. कुल बढ़ोतरी 1.07 करोड़ वोटों की है. इसका मतलब है कि पहले चार चरणों के 379 निर्वाचन क्षेत्रों में हुए मतदान में औसतन 28,000 वोटों की बढ़ोतरी हुई है. कुछ राज्यों और निर्वाचन क्षेत्रों में यह बढ़ोतरी वृद्धि दस और बीस प्रतिशत से भी अधिक है. सुप्रीम कोर्ट ने अब मांग की है कि चुनाव आयोग इस देरी के लिए स्पष्टीकरण दे और मतदान के वास्तविक आंकड़ों का सार्वजनिक रूप से खुलासा करे. लेकिन, चुनाव आयोग बेबुनियाद तर्कों का सहारा ले रहा है. चुनाव प्रक्रिया में हर स्तर पर बड़ी गड़बड़ियां देखने को मिली हैं. चुनाव आयोग बूथ कैप्चरिंग को दर्शाने वाले वीडियो का स्वतः संज्ञान लेने में विफल रहा और मामला जब हद से ज्यादा शर्मनाक हो गया, तो अनिच्छा से पुनर्मतदान का आदेश दिया है.
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