संवाददाता,पटना : राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने कहा कि विकास के लिए शहरीकरण महत्वपूर्ण है. यह विकास टिकाऊ होना चाहिए, लेकिन विकास को प्रदूषण, गर्मी, पानी की कमी आदि जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. सरकार राज्य में पर्यावरणीय गिरावट की इन समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है. गुरुवार को आद्री स्थित सेंटर फाॅर स्टडीज ऑन क्लाइमेट (सीएसइसी) द्वारा ‘अर्बन चैलेंजेज : फोकस आन इंडिया एंड पटना’ विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पर्यावरण एवं वन मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने कहा कि पर्यावरण की इस समस्या पर ध्यान दिये बगैर पटना शहर के कई हिस्सों में इमारतें बन रही हैं. सरकार ने इन बिल्डरों को पर्यावरण के अनुकूल निर्माण सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित उपनियमों का पालन करने का निर्देश दिया है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस सम्मेलन में निकले निष्कर्षों से सरकार को पर्यावरण के संबंध में अच्छी नीतियां बनाने में मदद मिलेंगी.इससे पहले आद्री के निदेशक प्रोफेसर अजीत सिन्हा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया.
पटना में कम-से-कम 20 वर्ग किमी हरियाली जरूरी
इस अवसर पर राउंड टेबल चर्चा में सेंटर फॉर एन्वायरमेंट प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद के प्रो अनिल कुमार रॉय ने कहा कि पटना को हरित शहर के मानक आदर्श को प्राप्त करने के लिए कम-से-कम 20 वर्ग किलोमीटर की हरियाली और अधिक खुले स्थानों की आवश्यकता है. पटना को गर्मी से निबटने के लिए भी योजना तैयार करनी चाहिए.नयी दिल्ली में ओएसिस डिजाइन्स, इंकार्पोटेड के आकाश हिंगोरानी ने सलाह दी कि पटना में भारी वर्षा के पानी के प्रबंधन के लिए इसे शहर केहरे-भरे इलाकों में प्रवाहित कर दिया जाये, ताकि वहां की जमीन इसे सोख ले. केंद्र सरकार के शहरी नियोजन पर उच्च स्तरीय समिति के सदस्य अनुज मल्होत्रा ने शहरों में पैदल यात्री क्षेत्रों के विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया़मौके पर आद्री की सदस्य सचिव डाॅ अस्मिता गुप्ता, डाॅ सुनीता लाल, नंदिनी मेहता और डाॅ उषाशी गुप्ता भी मौजूद थीं. सम्मेलन में ऊर्जा और संसाधन संस्थान के डाॅ प्रोदिप्तो घोष, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रो श्रीकांत गुप्ता, कोलकाता विवि के प्रो महालया चटर्जी, एसओएएस लंदन विवि के प्रो संजय श्रीवास्तव, कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट ऑथोरिटी के डाॅ दीपांकर भट्टाचार्जी, कोलकाता के सेरामपुर कॉलेज के डाॅ जॉय कर्माकर और एनआइयूए की सारिका चक्रवर्ती ने भी विचार रखे.
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