पटना. आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में रविवार को गुरु पूर्णिमा पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया. दो सत्रों में संचालित इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रो डॉ गिरीश चंद्र त्रिपाठी और समापन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय गया के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह शामिल हुए. कार्यक्रम की अध्यक्षता एकेयू के कुलपति प्रो शरद कुमार यादव ने की. समापन सत्र में कुलपति प्रो डॉ कामेश्वरनाथ सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षक ही नयी राह दिखा सकते हैं . उन्होंने कहा कि शिक्षा विश्व से और गुरु विश्व कल्याण से जोड़ते हैं. गुरु शिष्य के संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक हमेशा चाहते हैं कि हमारा छात्र समाज में उनसे बड़ा स्थान प्राप्त करे. गुरु पूर्णिमा के मौके पर शिष्य और गुरु दोनों की जिम्मेदारी है कि वें शैक्षणिक उन्नयन के साथ सामाजिक आचरण में भी अपनी शिक्षा को परिलक्षित करें. कुलपति प्रो शरद कुमार यादव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा प्रत्येक व्यक्ति को ज्ञानशील, शालीन, गुणवान बनाने के जीवनपर्यंत सक्रियता पर जोर देती है. भारतीय शिक्षा प्रणाली ने गुरुकुल परंपरा से लेकर आधुनिक शैक्षणिक परिदृश्य को देखा है. आज के दौर में शिक्षा का स्वरूप बदल गया है और एक बात जो नहीं बदली है तो वो है केवल गुरु और शिष्य के बीच स्थापित संबंध जो कालांतर से समर्पण भाव से चली आ रही है. अतिथि वक्ताओं का परिचय और स्वागत एकेयू आइक्यूएसी समन्वयक डॉ मनीषा प्रकाश ने किया. मौके पर कुलसचिव इ राजमी सिंह के साथ अन्य लोग मौजूद थे.
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