पटना. शिक्षा विभाग प्रदेश के सभी परंपरागत विश्वविद्यालयों में कुल सचिव, परीक्षा नियंत्रक, कॉलेज इंस्पेक्टर, वित्तीय सलाहकार, अफसर एवं अन्य प्रशासनिक पदों पर जवाबदेह अफसरों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार की एजेंसियों को देने की तैयारी कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक विभागीय शीर्ष अफसर इसके लिए सैद्धांतिक तौर पर सहमत हैं. इस परिदृश्य में विभाग जल्दी ही इसके लिए नियमावली बनाने जा रहा है.
अभी इन अफसरों की नियुक्ति राजभवन की तरफ से की जाती है. इस मामले में विशेषज्ञों का मत है. इसके जरिये विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक प्रबंधन पर विभाग नियंत्रण रख सकेगा़ इससे वहां की स्थिति में सुधार हो सकेगा परंपरागत तौर पर विश्वविद्यालयों के पास केवल अकादमिक गतिविधियों का अधिकार ही रहा है.
जानकारों के मुताबिक प्रदेश में कुल सचिव और दूसरी प्रशासनिक पदों पर 1982 तक बिहार लोक सेवा आयोग ने की. इसके बाद परंपरा बदली सुनियोजित तौर पर यह अधिकार विश्वविद्यालयों के पास गया. हालांकि उन्हें विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 35 बी के तहत शिक्षा विभाग का परामर्श लेना अनिवार्य था. इसके बाद वर्ष 2013 के बाद में अचानक परंपरा बदली.
प्रशासनिक पदों पर कर्नल और दूसरे रेंक के अफसर लिये गये 2017-18 में राजभवन के पास यह अधिकार दिया गया. हालांकि कुलपति ही पैनल बना कर देते थे. चूंकि पिछले समय में बिहार के विश्वविद्यालयों में तमाम प्रशासनिक और वित्तीय कुप्रबंधन सामने आये हैं. लिहाजा विभाग चाहता है कि इस व्यवस्था को दुरुस्त किया जाये. लिहाजा वह इसकी नियुक्ति का अधिकार लेना चाहता है.
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हालांकि शिक्षा विभाग की मंशा है कि अब इनकी नियुक्ति का अधिकार बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग को दिया जाये. हालांकि इसके लिए नियमावली बनानी होगी. नियमावली के तहत आयोग को अभी केवल सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति का अधिकार है. फिलहाल विभाग की तरफ अब नियमावली बनाने की तैयारी शुरू की जा रही है. इसके बाद इस मामले में कैबिनेट से भी अनुमति लेनी होगी.