Education News: बिहार के ये दो यूनिवर्सिटी ऑनलाइन डिग्रियां अपलोड करने में सबसे आगे, अपार आइडी बनाने में पीपीयू पहले स्थान पर
Education News: चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू) में तीन दिवसीय समीक्षा और पुनर्संरेखन कार्यशाला का समापन बुधवार को हुआ. समीक्षा कार्यशाला में कई बातें उभर कर सामने आयी.
Education News: बिहार सरकार राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों के सभी छात्रों को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) के तहत अपार आइडी (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री) प्रदान करने के लक्ष्य की ओर महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू) में तीन दिवसीय समीक्षा और पुनर्संरेखन कार्यशाला का समापन बुधवार को हुआ. समीक्षा कार्यशाला में कई बातें उभर कर सामने आयी. इसमें बताया गया कि बिहार वर्तमान में उच्च शिक्षा की डिजिटल इ-गवर्नेंस के मामले में 17वें स्थान पर है. इसके साथ इसमें राज्य के विश्वविद्यालयों के किये गये कार्यों की चर्चा हुई. जिसमें कई बातें उभर कर सामने आयी.
जानें पीपीयू ने कितना बनाया आपार आइडी
कार्यशाला में बताया गया कि राज्य के विवि में सबसे अधिक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी), एनएडी डिजिलॉकर पर सबसे अधिक 3,69,562 डिग्री अपलोड की है. वहीं, 1,79,997 अंकपत्र अपलोड किया है. अपार आइडी की संख्य अब तक अपडेट नहीं किया है. वहीं, इसके बाद दूसरे नंबर पर मौलान मजहरूल हक अरबी और फारसी विश्वविद्यालय पटना की ओर से एबीसी-डिजिलॉकर पर 3,63,248 डिग्रियां व 2,54,421 अंक पत्र अपलोड किया गया है. वहीं, 1408 अपार आइडी बनाया है. दोनों यूनिवर्सिटी अपार आइडी बनाने के मामले में काफी पीछे है, जबकि अपार आइडी बनाने के मामले में पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी (पीपीयू) पहले नंबर पर है.
उच्च शिक्षा की डिजिटल इ-गवर्नेंस के मामले में बिहार 17वें स्थान पर
पीपीयू ने 2,35,093 अपार आइडी बनाया है. जबकि डिग्री अपलोड करने के मामले में पीपीयू तीसरे नंबर पर है. पीपीयू ने 2,11,518 डिग्रियां व तीन अंक पत्र अपलोड किया है. जबकि अपार आइडी बनाने में पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी (पीपीयू) पहले नंबर पर है. कार्यशाला में तकनीकी सहायता एबीसी-एनडीए डिजिलॉकर के राज्य समन्वयक अरुण कुमार, चंडीगढ़ डिवीजन के जोनल हेड शुभम शर्मा ने बताया कि देश भर में बिहार वर्मतान में उच्च शिक्षा की डिजिटल इ-गवर्नेंस के मामले में 17वें स्थान पर है. बिहार में सकल नामांकन अनुपात को 17.1 से 20 और उससे अधिक तक बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं.