पटना : कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावाी किये गये लॉकडाउन और अनलॉक फेज वन की परिस्थितियों को देखते हुए बिहार में कक्षा एक से 12 तक की कक्षाओं के सिलेबस को छोटा या सीमित किया जायेगा. इस संदर्भ में रणनीति बनायी जा रही है. एससीइआरटी इस मामले में एनसीइआरटी से मार्गदर्शन ले रहा है. इस मामले में एससीइआरटी उससे कई चरण की बातचीत कर चुका है. इस माह इस संदर्भ में औपचारिक रूप से यह कवायद पूरी की जा सकती है.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक एनसीइआरटी भी अपना सिलेबस कम करने जा रहा है. उसने भी बिहार की राज्य सरकार को सलाह दी है कि कोरोना संक्रमण के दौरान बनी परिस्थितियों में सिलेबस कम करना जरूरी हो गया है. दरअसल नया शैक्षणिक सत्र के अहम तीन माह गुजरने जा रहे हैं. आगामी एक दो माह अभी और देरी होना है. इसलिए शेष समय में परंपरागत सिलेबस को पूरा कराया जाना संभव नहीं होगा. इन परिस्थितियों में तय होगा गया है कि बिहार एससीइआरटी भी सिलेबस सीमित करने की कवायद शुरू करने जा रहा है
कोरोना की वजह से लॉकडाउन ने विश्वविद्यालयों में शोध कार्य पर पूरी तरह से ब्रेक लगाया हुआ है. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट दो बार स्थगित हो चुकी है. पहली बार जनवरी में और दूसरी बार मार्च में. छात्र अब भी टेस्ट का इंतजार कर रहे हैं. करीब छह महीने छात्र पीछे जा चुके हैं. पटना विश्वविद्यालय में टेस्ट के बाद साक्षात्कार भी हो गया था लेकिन कई विभागों में अब तक रिजल्ट पेंडिंग है. छात्र इसको लेकर काफी परेशान हैं. जिनका रिजल्ट हो गया है उनका कोर्स वर्क अब तक शुरू नहीं हो सका है. जिनका शोध चल रहा है वे अपने गाइड के पास नहीं जा पा रहे हैं. कुल मिलाकर शोध कार्य पूरी तरह से रूकी हुई है.
ऑनलाइन साक्षात्कार कराने का यूजीसी का निर्देश
हालांकि शोध कार्य रूके नहीं इसको लेकर यूजीसी ने भी निर्देश दिये हैं, जिसके तहत ऑनलाइन क्लासेज व साक्षात्कार की बात कहीं गयी है. लेकिन जमीनी स्तर पर यह नहीं हो रहे हैं. सामान्य पीजी के क्लास करने में ही विश्वविद्यालयों का दम फुल रहा है. शोध छात्रों के लिए सिर्फ शिक्षकों के मोबाइल नंबर जारी कर दिया गया है ताकि छात्र संपर्क में रहें. इससे अधिक और कुछ भी नहीं किया गया है. छात्र भी लॉकडाउन की वजह से रिसर्च कार्य के लिए बाहर साक्षात्कार आदि नहीं कर पा रहे हैं. लाइब्रेरी सारे बंद हैं.