पटना. दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में तीन गुना से अधिक बिजली बिल का भुगतान करना पड़ता है. ओडिशा, केरल, गोवा आदि राज्यों में बिद्युत दर 2.11 रु से लेकर 2.87 रु प्रति यूनिट है, लेकिन बिहार में शहरी क्षेत्र में 6.10 रु, 6.40 रु तथा 8.40 रु लिया जाता है. उक्त बातें रविवार को सिटीजन्स फोरम की ओर से प्रीपेड बिद्युत स्मार्ट मीटर को लेकर आयोजित नागरिक कन्वेंशन में कही गयी.
गांधी संग्रहालय में आयोजित इस कन्वेंशन का संचालन पांच सदस्यों वाली अध्यक्ष मंडल ने किया, जिसमें अनिल कुमार राय, प्रीति सिन्हा, मनोज कुमार चंद्रवंशी, संजय श्याम और मणिलाल शामिल रहे. स्वागत वक्तव्य सिटीजन्स फोरम के संयोजक अनीश अंकुर ने किया. कन्वेंशन में विद्युत स्मार्ट मीटर को लेकर ‘सिटीजन्स फोरम’ की ओर से एक पेपर प्रस्तुत किया गया, जिसमें विद्युत स्मार्ट मीटर लगने के बाद आम लोग द्वारा झेली जा रही परेशानियों का जिक्र किया गया.
एटक के राज्य महासचिव गजन्फर नवाब ने कहा कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर के बहाने गरीब लोगों से धन वसूल कर निजी कम्पनियों को स्थानांत्रित किया जा रहा है. प्रदीप मेहता ने कहा कि मोबाइल कंपनी की तरह बिजली कंपनी को बनाया जा रहा है. इस बिल का विरोध होना चाहिये. बिहार इलेक्ट्रिक सप्लाई वर्कर्स यूनियन के उप महासचिव डीपी यादव ने कहा कि बिजली उद्योग से जुड़े मजदूर भी इस लड़ाई में साथ हैं. पहले बिजली के क्षेत्र में चालीस हजार मजदूर थे, लेकिन आउटसोर्सिंग के बाद मात्र 14 हजार मजदूर रह गए हैं. पूर्व नगर पार्षद बलराम चौधरी ने कहा कि यदि कोई स्वच्छा से प्रीपेड मीटर लगाएं तो ठीक है, लेकिन जबरदस्ती नहीं किया जाना चाहिए.
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सामाजिक कार्यकर्ता सिस्टर डोरोथी ने कहा कि हम लोगोंं को कोयले के बजाय सौर ऊर्जा की ओर ध्यान देना चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता रामभजन यादव ने कहा कि प्रीपेड मीटर के कारण तीस से चालीस प्रतिशत तक ज्यादा बिल आता है. इस नागरिक कन्वेंशन में पटना के आम नागरिकों के अलावा विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे.