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Electricity In Bihar: नबीनगर सुपर थर्मल के विस्तार को मंजूरी, 800 मेगावाट की लगेंगी तीन नयी इकाइयां

Electricity In Bihar: केंद्र सरकार ने बिहार के नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के क्षमता विस्तार स्टेज-2 को मंजूरी दे दी है. यहां पर 800-800 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली तीन नयी इकाइयां स्थापित की जायेगी.

Electricity In Bihar: पटना. केंद्र सरकार ने एनटीपीसी के पूर्ण स्वामित्व की औरंगाबाद के नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (एनएसटीपीएस) के क्षमता विस्तार स्टेज-2 को मंजूरी दे दी है. स्टेज-2 के तहत यहां पर 800-800 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली तीन नयी इकाइयां स्थापित की जायेगी. इसको लेकर निविदा जारी कर दी गयी है. निर्धारित गति से परियोजना चलने पर 2029 तक यह प्लांट बन कर तैयार हो जायेगा, जो अगले चार-पांच वर्षों में बढ़ने वाली बिहार की बिजली जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा.

बिहार को मिल रही 1634 मेगावाट बिजली

नबीनगर पावर स्टेशन के स्टेज वन की 660-660 मेगावाट की तीन चालू इकाइयों से फिलहाल 1980 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. इसमें बिहार की हिस्सेदारी 82.5 फीसदी यानि 1634 मेगावाट है. तीन नयी इकाइयों की स्थापना से एनएसटीपीएस की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 1,9800 मेगावाट से बढ़कर 4,380 मेगावाट हो जायेगी. एनएसटीपीएस की उत्पादन क्षमता में 2400 मेगावाट की वृद्धि होने के बाद इस परियोजना का दर्जा सुपर थर्मल पावर स्टेशन से बदलकर मेगा थर्मल पावर स्टेशन का हो जायेगा. स्टेज टू को लेकर बिहार का कोटा फिलहाल निर्धारित नहीं हुआ है. लेकिन, पुराने समझौते के मुताबिक बिहार 2400 में से 62 फीसदी यानि 1485 मेगावाट बिजली की दावेदारी कर सकता है.

दूसरी सबसे बड़ी बिजली उत्पादन वाली परियोजना

स्टेज टू चालू होने पर एनएसटीपीएस परियोजना सर्वाधिक बिजली उत्पादन करने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी ताप विद्युत परियोजना बन जायेगी. वर्तमान में विंध्याचल सुपर थर्मल पावर स्टेशन देश का पहला और सबसे अधिक बिजली उत्पादन करने वाला बड़ा प्रोजेक्ट है, जहां लगभग 4,800 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. केंद्र द्वारा दी गयी मंजूरी के तहत एनएसटीपीएस के क्षमता विस्तार के लिए 25 हजार करोड़ से अधिक का निवेश होगा. यह निवेश बिहार में किसी भी परियोजना के लिए अब तक का सबसे बड़ा निवेश है.

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परियोजना से बिहार को होगा बड़ा लाभ

एनएसटीपीएस के स्टेज-2 प्रोजेक्ट की स्थापना से बिहार को सर्वाधिक फायदा होगा. इसके पूरा होने से बिहार की बिजली के लिए दूसरे राज्यों की बिजली परियोजनाओं पर निर्भरता दूर हो जायेगी. मामले में निविदा की प्रक्रिया पूरी होते ही निर्माण कार्य आरंभ हो सकता है, क्योंकि परियोजना के पास आज भी 1,400 एकड़ सरप्लस जमीन उपलब्ध है. परियोजना में पहले से ही रेलवे ट्रैक, वाटर पाइपलाइन और कूलिंग पांड आदि कई तरह की आधारभूत संरचनाएं पहले से ही उपलब्ध हैं, इसलिए इन बुनियादी संरचनाओं का नए सिरे से निर्माण करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि इन्ही संरचनाओं का आंशिक विस्तार कर इनका स्टेज-2 के लिए इस्तेमाल हो सकेगा.

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