पटना : नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों की सेवा शर्तों को तय करने गठित उच्चाधिकार समिति का पुनर्गठन औपचारिक तौर पर किया गया. शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक संकल्प जारी किया है. समिति के सदस्यों मसलन प्रधान सचिव, सचिव के पदनाम के साथ अपर मुख्य सचिव के पद नाम जोड़ने और प्रधान अपर महाधिवक्ता के स्थान पर महाधिवक्ता की तरफ से नामित अपर महाधिवक्ता शामिल किया गया.
समिति में सामान्य प्रशासन विभाग, शिक्षा विभाग, वित्त विभाग,पंचायती राज विभाग और नगर विकास विभाग तथा प्रधान अपर महाधविक्ता शामिल थे. चूंकि कई विभाग के प्रधान सचिव पद पर अपर मुख्य सचिव ग्रेड के पदाधिकारी हैं. इसलिए अपर मुख्य सचिव पदनाम जोड़ा गया है. प्रधान सचिव अध्यक्ष एवं प्रधान सचिव शिक्षा सदस्य सचिव होंगे.
पटना. इधर, नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त निर्धारण हेतु वर्ष 2015 में गठित समिति का ही पुनर्गठन करने पर शिक्षक संघ ने नाराजगी जाहिर की है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा, महासचिव नागेंद्र नाथ शर्मा, कार्यालय सचिव मनोज कुमार ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2015 के समझौते में यह कहा गया था कि तीन माह के अंदर नियोजित शिक्षकों को सेवा शर्त का लाभ दिया जायेगा. लेकिन, पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद सेवा शर्त का लाभ नहीं दिया गया.
शिक्षक नेताओं ने कहा कि बिहार सरकार को शिक्षक संगठन से वार्ता कर शिक्षकों के सात सूत्री मांगों को पूरा करना चाहिए. शिक्षक नेताओं ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जुलाई 2006 से नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं. उनकी सेवा के लगभग 15 वर्ष पूरा होने वाले हैं. परंतु आज तक उनके सेवा शर्त का निर्धारण नहीं किया जा सका. इसके कारण नियोजित शिक्षक व शिक्षिकाएं ऐच्छिक स्थानांतरण, ग्रुप बीमा, भविष्य निधि, पेंशन ग्रेच्युटी एवं महिला शिक्षिकाएं 180 दिन के मातृका अवकाश से वंचित हैं.