संवाददाता,पटना राज्य के सभी जिला अस्पतालों में लेबर रूम, नवजात और बाल चिकित्सा इमरजेंसी सेवा में गुणात्मक सुधार के लिए चिकित्सकों की दक्षता बढ़ाने के लिए मंगलवार को विशेषज्ञता समूह की बैठक रणनीति तैयार की गयी. राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा अभिषेक कुमार ने बताया कि इमरजेंसी के दौरान माताओं, नवजात और बच्चों के इलाज में डॉक्टरों के नॉलेज को अपडेट किया गया है. इसका उद्देश्य है कि जिला अस्पतालों में इमरजेंसी में आनेवाले ऐसे मरीजों के जान को जोखिम से बाहर निकालना और उनको स्वस्थ करना. डा अभिषेक ने बताया कि डॉक्टरों के मेंटरिंग कार्यक्रम को लेकर पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएपआइ) द्वारा स्वास्थ्य विभाग और राज्य स्वास्थ्य सोसायटी के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य बिहार के जिला अस्पतालों में आपातकालीन देखभाल क्षमताओं को बढ़ाना है. आपातकालीन मातृ, नवजात और बाल चिकित्सा देखभाल में डॉक्टर के मेंटरिंग कार्यक्रम बिहार सरकार द्वारा शुरू की गयी एक पहल है. इसमें पीएचएफआइ से तकनीकी सहायता और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) से वित्तीय सहायता मिलती है. शिशु रोग विशेषज्ञ डा एके जायसवाल और आपातकालीन मातृत्व देखभाल पर डा रीता झा ने चिकित्सकों की टीम से तकनीकी मॉड्यूल की संरचना और विषय वस्तु पर विचार विमर्श कर उसका अंतिम रूप दिया. चिकित्सकों की टीम ने इमरजेंसी में प्रसवपूर्व देखभाल, प्रसवकालीन देखभाल, प्रसवोत्तर देखभाल पर रणनीति तैयार की. इस मसौदा मॉड्यूल को राज्य के नौ सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रसूति एवं स्त्री रोग (ओबीजीवाई), बाल रोग और एनेस्थीसिया विभागाध्यक्षों (एचओडी) के साथ साझा किया गया. बैठक में एम्स पटना, पीएमसीएच पटना, आईजीआईएमएस पटना, एनएमसीएच पटना, एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर, डीएमसीएच दरभंगा, जेएलएनएमसीएच भागलपुर, एएनएमसीएच गया और बीएमआईएमएस पावापुरी समेत नौ सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रसूति एवं स्त्री रोग, बाल रोग और एनेस्थीसिया विभागों के विभागाध्यक्षों और संकाय सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया.
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