राज्य में बालू के अवैध खनन में माफियाओं से साठगांठ कर काली कमाई करने वाले पदाधिकारियों के यहां छापेमारी का सिलसिला जारी है. इसी क्रम में आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की टीम ने मंगलवार को आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में रोहतास जिले के डेहरी के तत्कालीन एसडीपीओ संजय कुमार के दो ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. इनमें पटना के आशियाना नगर में सूर्यविहार कॉलोनी में मौजूद घर और बक्सर जिले के मुरार थाने के बसंतपुर चौगाई गांव में उनका पैतृक घर शामिल है.
इन दोनों स्थानों पर तलाशी के दौरान उनके पास से कोई कैश या ज्वेलरी तो नहीं मिली, लेकिन लाखों की अचल संपत्ति के अलावा कई स्थानों पर निवेश के दस्तावेज मिले हैं. इन्हें मिलाकर उनके पास से एक करोड़ 41 लाख 55 हजार रुपये से ज्यादा की चल एवं अचल संपत्ति मिली है. अब तक की जांच में उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से करीब 78 लाख 65 हजार रुपये अधिक संपत्ति का पता चल चुका है, जो उनके ज्ञात स्रोतों से 51.2% ज्यादा है.
छापेमारी के दौरान चल संपत्ति नहीं मिलने की मुख्य वजह उनका पहले से अलर्ट होना है, क्योंकि बालू के अवैध खनन में माफियाओं से मिलीभगत कर अवैध कमाई करने के आरोप में करीब 10 महीने पहले ही निलंबित किये जा चुके हैं. निलंबित होने के बाद उन्हें अपने यहां डीए मामले में कार्रवाई होने की पूरी आशंका थी. इस कारण उन्होंने अपनी सभी चल संपत्ति को कहीं ठिकाना लगा दिया है. फिलहाल इस मामले की अलग से तफ्तीश चल रही है. साथ ही उनके सभी बैंक खातों को सीज कर लेन-देन से जुड़े तमाम मामलों की जांच की जायेगी. छापेमारी के दौरान उनके पास से कोई बैंक खाता या पासबुक बरामद नहीं हुई है. इससे भी मामला संदिग्ध प्रतीत होता है.
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छापेमारी के दौरान यह बात सामने आयी कि उन्होंने पत्नी के नाम से बैंक खातों में बड़ी मात्रा में कैश जमा कराया है, जबकि पत्नी गृहणी हैं और उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है. इसके अलावा कई अन्य स्थानों पर भी पैसे के निवेश के प्रमाण मिले हैं.
पत्नी के नाम से पैतृक गांव बसंतपुर चौगाई में 2018 में सात डिसमिल व्यावसायिक भूमि 12 लाख रुपये में खरीदी और इस पर व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बनाया. इसके अलावा पत्नी के नाम से बक्सर के कोरान सराय में आठ डिसमिल कृषि भूमि 35 हजार रुपये में खरीदी है. पटना के सूर्य विहार कॉलोनी में 6.52 डिसमिल (करीब दो कट्ठा) जमीन पर बने एक मंजिला आवासीय मकान को उन्होंने 28 लाख रुपये में खरीदा था. इसके बाद बाद में उन्होंने 55 लाख रुपये से ज्यादा खर्च करके दो मंजिला भवन बनाया है. इसमें किये गये खर्च का यह शुरुआती अनुमान है, जिसका सही मूल्यांकन करने के बाद इसमें बढ़ोतरी हो सकती है. मकान और जमीन का मूल्यांकन सरकारी दर पर है. बाजार मूल्य इससे कहीं ज्यादा होगा.
तत्कालीन एसडीपीओ संजय कुमार 2005 बैच के बिहार पुलिस सेवा के पदाधिकारी हैं. सेवाकाल के दौरान उनकी तैनाती डेहरी से पहले औरंगाबाद, भभुआ, सीतामढ़ी, नालंदा, महाराजगंज व राजगीर में बतौर एसडीपीओ हो चुकी है. अपने करीब 17 साल की नौकरी में उन्होंने अवैध बालू खनन समेत पद का दुरुपयोग करके अन्य माध्यमों से भी काफी अवैध कमाई की है. इसकी जांच फिलहाल पूरी शिद्दत से चल रही है.
Posted By: Thakur Shaktilochan