Chhath Puja 2022 : सूर्योपासना के महापर्व छठ में किन्नरों की भी है आस्था, सालों से कर रहें पर्व
छठ पर्व की आस्था ऐसी की ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी, जाति -धर्म और लिंग तक की बाध्यता मिट जाती है. ऐसे में भला समाज का तीसरा लिंग कैसे अछूता रह सकता है. कुछ इसी सोच के साथ पटना में रहने वाले किन्नर समुदाय यह व्रत कर रहे हैं
लोक आस्था का महापर्व छठ यूं तो हिंदूओं का सबसे महान और पवित्र पर्व है. जिसमें समाज के सभी तबके के लोग पूरी आस्था और विश्वास के साथ सूर्य भगवान की पूजा करते हैं, लेकिन जब किन्नर समाज भी उतनी ही श्रद्धा और विश्वास के साथ इस पर्व को मनाये तो निश्चित तौर पर इस पर्व का महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है. कहा भी जाता है कि इस महापर्व छठ पूजा की बात ही निराली है. छठ में जितनी अनेकता में एकता है, उतनी शायद ही किसी और पूजा में दिखती है.
पटना के किन्नर भी कर रहें व्रत
सूर्य की उपासना का यह महापर्व सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी कायम करता है. छठ पर्व की आस्था ऐसी की ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी, जाति -धर्म और लिंग तक की बाध्यता मिट जाती है. शायद ही कहीं किसी दूसरे पर्व में ऐसे अनूठे संगम देखने को मिलते होंगे. ऐसे में भला समाज का तीसरा लिंग कैसे अछूता रह सकता है. कुछ इसी सोच के साथ शहर में रहने वाले किन्नर समुदाय यह व्रत कर रहे हैं
लोगोंं की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं यह व्रत
दानापुर कैंट निवासी सुमन मित्रा भी पिछले 12 सालों से छठ कर रही हैं. वे बताती हैं कि बचपन से ही अपनी मां को छठ करते देखा करती थी और सोचती थी जब वे बड़ी होंगी तो इस पर्व को जरूर करेंगी. अब मां नहीं है लेकिन मैं इस परंपरा को निभा रही हूं. इस बार मैं अपनी दोस्त के साथ बीएमपी 16 में पर्व कर रही हूं. गंगा नदी से लाये मिट्टी से चूल्हा तैयार कर लिया है. नहाय-खाय की तैयारियां पूरी हो चुकी है. सभी के सुख-समृद्धि के लिए इस बार पूजा करेंगी. इस बार मेरे साथ रायपूर छत्तीसगढ़ की रहने वाली अमृता इस पर्व में शामिल होने के लिए
यह ऐसा पर्व है जिसमें धर्म या जाति नहीं देखी जाती
खगौल की रहने वाली मनीषा किन्नर दूसरी बार छठ व्रत कर रही हैं. वे बताती हैं कि यह एकमात्र ऐसा पर्व हैं जहां पर किसी भी धर्म और समुदाय के लोग इसे कर सकते हैं. छठ मां सभी की इच्छा पूरी करती हैं. मैं इस साल अपने अपनों की सलामती के लिए यह पर्व कर रही हूं. नहाय-खाय के दिन गेहूं और चावल धोकर सुखाती हूं और फिर प्रसाद तैयार करती हूं. इस पर्व में छोटी सी चूक और इसका असर दिख जाता है. पूरी विधि-विधान के साथ सारी चीजों को करती हैं.
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15 सालों से सभी की सलामती करती हैं दुआ
गायघाट पटना सिटी की रहने वाली साधना किन्नर पिछले 15 सालों यह पावन पर्व करती आ रही हैं. उन्होंने ललन किन्नर को पहली बार छठ करते हुए देखा था तभी से उनके इस पर्व के प्रति आस्था बढ़ी. वे बताती हैं कि हर साल वे इस व्रत को अपने से जुड़े लोगों की सालमती, सुख और बेहतर स्वास्थ्य के लिए करती हैं. सारी तैयारियां हो चूकी है और घाट पर जाकर ही पूजा संपन्न होगी.