Patna : डीजल अनुदान राशि के दुरुपयोग में बाढ़ के तत्कालीन बीएओ बर्खास्त

डीजल अनुदान की राशि का दुरुपयोग करने समेत कई आरोपों में पटना के बाढ़ के तत्कालीन प्रखंड कृषि पदाधिकारी मो फैयाजुल हक को बर्खास्त कर दिया गया है. कृषि निदेशालय ने इस संबंध में आदेश जारी किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 22, 2024 2:09 AM

संवाददाता, पटना : डीजल अनुदान की राशि का दुरुपयोग करने समेत कई आरोपों में पटना के बाढ़ प्रखंड के तत्कालीन प्रखंड कृषि पदाधिकारी (बीएओ) मो फैयाजुल हक को बर्खास्त कर दिया गया है. वह वर्तमान में सहरसा के कहरा के प्रखंड कृषि पदाधिकारी हैं. कृषि निदेशालय ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. पटना के बाढ़ प्रखंड के प्रखंड कृषि पदाधिकारी रहने के दौरान उन पर राशि का दुरुपयोग, कर्तव्यहीनता, अनुशासनहीनता और सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप लगे थे. पटना के डीएम ने तीन मई, 2013 को उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. छह जुलाई, 2013 को उनके खिलाफ जांच शुरू हुई. 19 जनवरी, 2018 को उनको निलंबित कर दिया गया था. इसी तरह कोर्ट से लेकर विभागीय कार्यवाही 2023 तक चली. अब उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया गया है.

क्या था मामला :

डीएम के निर्देश पर बाढ़ के तत्कालीन प्रखंड कृषि पदाधिकारी द्वारा टाल विकास परियोजना वर्ष 2011-12 के अंतगर्त 500 प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान पर तृणनाशी दवा का वितरण महोत्सव / शिविर में संबंधित कंपनियों द्वारा किया जाना था. बाढ़ के तत्कालीन प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने जमाल रोड के मेसर्स एग्रो लाइन से पेडिमेथिलीन (दोस्त यूपीएस कंपनी) का 102 लीटर और ग्लाइफोसेट (स्वीप यूपीएस कंपनी) का 211 लीटर और बिल बुक 50 पीसी के तीन बंडल प्राप्त किये. लेकिन इस तृणनाशी दवा का वितरण किये जाने के संबंध में सूचना अप्राप्त रही. जिला कृषि कार्यालय ने 21 अप्रैल, 2012 को पेंडमेलीलन और ग्लाइफोसेट तृणनाशी दवाओं का विपत्र और लाभार्थी किसानों की सूची की मांग थी. इसके बावजूद सूची उपलब्ध नहीं करायी गयी. जिला कृषि कार्यालय ने 29 सितंबर, 2012 में जांच टीम बनायी, लेकिन जांच टीम और जिला कृषि पदाधिकारी को कोई कागजात उपलब्ध नहीं कराया गया. उपरोक्त प्रतिवेदित आरोपों पर निदेशालय के आदेश पर छह जून, 2013 से विभागीय कार्यवाही शुरू की गयी थी.

कृषि पदाधिकारी पर क्या थे आरोप

1.जब आरोपित पदाधिकारी ने संदर्भित तृणनाशी दवा प्राप्त नहीं करने के बाद भी उसका वितरण ससमय करवा लिया था, तब उनके द्वारा इससे संबंधित सभी अभिलेखों सहित सूचना ससमय जिला कृषि पदाधिकारी, पटना को नहीं दी.

2.अपने तबादला, विरमन और प्रभार हस्तांतरण के आधार बनाकर संबंधित पदाधिकारी ने इस मामले पर पर्दा डाला, क्योंकि जब वितरण हो चुका था और प्रभार आरोपित पदाधिकारी के पास था, तब आरोपित पदाधिकारी को वांछित विपत्र और लाभार्थी कृषकों की सूची समर्पित करने में कोई भी व्यवधान नहीं था, जो नहीं किया गया.

3.आरोपित पदाधिकारी ने अपने जिम्मे का संपूर्ण प्रभार प्रखंड कृषि पदाधिकारी, बाढ़ को दिया जाना था, न कि बीडीओ को.

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