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IIT पटना में विशेषज्ञों ने कहा 6G में मानव और उपकरण एक दूसरे से करेंगे संवाद, TBPS में होगी डाटा स्पीड

प्रो कुमार ने बताया कि 5जी में उपकरण से उपकरण का संवाद होता है, लेकिन 6जी में मानव और उपकरण एक दूसरे से संवाद करेंगे. उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में डॉक्टर रोबोट के माध्यम से सर्जरी करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2022 3:18 AM
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आइआइटी पटना में 6जी पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन शनिवार को हुआ. 6जी वायरलेस मोबाइल संचार पर आइइइइ (IEEE) अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन शिक्षा, उद्योग और सरकार के प्रतिनिधियों की बीच चर्चा हुई. कार्यक्रम के अंतिम दिन नेटएसपीआइ के उपाध्यक्ष श्याम झा ने 6जी में साइबर सुरक्षा के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि दुनिया में लगभग हर 39 सेकंड में एक साइबर हमला होता है.

2030 तक विश्व में आबादी के लगभग 60 गुणा उपकरण इंटरनेट से जुड़े होंगे

सैमसंग इंडिया के उपाध्यक्ष अमित मन्नान ने 6जी के प्रारूप की विस्तृत चर्चा की और बताया कि 6जी में टीबीपीएस स्तर की डाटा स्पीड होगी. साथ ही 2030 तक विश्व में आबादी के लगभग 60 गुणा उपकरण इंटरनेट से जुड़े होंगे. अत्यधिक मात्रा में डाटा उत्पन्न होगा. इन डाटा को जीरो लिटेंसी के साथ एक जगह से दूसरे जगह भेजना चुनौती होगी. मन्नान ने 6जी के संभावित तकनीकों के बारे में चर्चा की और रिकॉनफिगरेबल इंटेलिजेंस सरफेस, मेटा मैटेरियल, टेक्टाइल इंटरनेट, सैटेलाइट नेटवर्क, मेश नेटवर्क, स्प्लिट कम्प्यूटिंग इत्यादि को 6जी की चुनौतियों के निवारण के लिए उपयोगी बताया. उन्होंने दुनिया भर में हो रहे 6जी के शोध कार्यों का एक संक्षिप्त विवरण भी दिया.

अकेडमिया राउंडटेबल का भी आयोजन किया गया

इस सिंपोजियम के दूसरे चरण में एक इंडस्ट्री अकेडमिया राउंडटेबल का भी आयोजन किया गया. इसमें शिक्षा, उद्योग एवं सरकार के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. आइआइटी दिल्ली के प्रो महेश अभेगांवकर, आइआइटी पटना के प्रो प्रीतम कुमार, डीडीजी 6जी दूरसंचार भारत सरकार के अब्दुल कयूम, सैमसंग के उपाध्यक्ष अमित मन्नान, राकू टेन के उपाध्यक्ष मुदित गोयल और रेडी सीस कॉरपोरेशन के उपाध्यक्ष राजदीप यादव ने विचार प्रकट किये. इस बैठक का संचालन डॉ अमित कुमार सिंह ने किया.

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6जी में मानव और उपकरण एक दूसरे से संवाद करेंगे

  • प्रो अबेगांवकर ने उच्च आवृत्ति पर होने वाले डाटा ट्रांसमिशन का मानव शरीर पर होने वाले प्रभाव की चर्चा की और किसी प्रकार के खतरे से इनकार किया. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे आवृत्ति बढ़ती है डाटा ट्रांसफर की सीमा घटती जाती है और हमें अत्यधिक मात्रा में स्पेक्ट्रम उपलब्ध होता है.

  • प्रो कुमार ने बताया कि 5जी में उपकरण से उपकरण का संवाद होता है, लेकिन 6जी में मानव और उपकरण एक दूसरे से संवाद करेंगे. उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में डॉक्टर रोबोट के माध्यम से सर्जरी करेंगे.

  • कयूम ने 6जी में मिली मीटर वेव और टेरा हर्ट्ज के उपयोग पर जोर दिया, जिससे कि उपभोक्ता को अति उच्च डाटा स्पीड मुहैया कराया जा सके. इस तकनीक के परिनियोजन में होने वाले खर्च को कम करने पर शोध करने की जरूरत है.

  • मन्नान ने इस चर्चा में ओपन रेडियो एसेस नेटवर्क तकनीक को 6जी के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया. इस तकनीक में मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर्स और वेंडर्स आपस में सहयोग करेंगे, जिससे नेटवर्क पर भार कम पड़ेगा और लागत भी कम होगी.

  • गोयल ने बताया कि 6जी में उपभोक्ता को सेवा के लिए 5जी के लगभग ही खर्च करना होगा. यादव ने 6जी में इंटरनेट की उपलब्धता को सर्व व्यापक एवं टिकाऊ बनाने के लिए सैटेलाइट नेटवर्क के उपयोग का सुझाव दिया.

  • अतिथियों ने शोधकर्ताओं से कहा कि अगली पीढ़ी के दूरसंचार उद्योग में आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए स्थिरता और धन सृजन पर ध्यान देना चाहिए.

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