प्रह्लाद कुमार, पटना आंगनबाड़ी केंद्रों में शुद्ध पेयजल और स्वच्छता की घोर कमी है.विभागीय सूत्रों के मुताबिकअभी 60 प्रतिशत ऐसे केंद्र हैं, जहां स्वच्छता का अभाव है, लेकिन इन्हीं केंद्रों में बच्चों को बिठाकर पोषाहार दिया जाता है. इसमें कई ऐसे भी केंद्र हैं, जो किराया कम रहने के कारण झोंपड़ियों में चलाये जाते हैं, जहां बरसात में बैठना तक मुश्किल होता है. इस कारण विभाग ने निर्णय लिया है कि जल्द -से -जल्द सभी केंद्रों को अपना भवन मिल जाए. इस संबंध में जिलों को दिशा-निर्देश भेजा गया है कि केंद्र बनाने के लिए जमीन की खोज करें. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक राज्यभर में एक लाख 12 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है. इसमें अपना भवन : 26097, स्कूल : 4010, किराये पर 80 हजार केंद्र हैं. विभागीय नियम के मुताबिक किराये पर आंगनबाड़ी केंद्र के संचालन के लिए भवन पक्का एवं न्यूनतम रकबा 600 वर्गफुट होना चाहिए. किराये पर केंद्र का संचालन किसी भी परिस्थिति में अर्धपक्के व कच्चे भवन में नहीं किया जाए. वहीं, लाभार्थियों को केंद्र तक पहुंचने में किसी तरह की असुविधा नहीं हो, इसका ध्यान रखना चाहिए.विभाग ने जिलों को यह भी निर्देश दिया है कि किराये के भवन में बच्चों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधा हो, शौचालय, शुद्ध पेयजल एवं हवादार हो. कम राशि मिलने से किसी तरह से चल रहे हैं केंद्र विभाग से मिली जानकारी में आंगनबाड़ी केंद्र भवन का किराया शहरी क्षेत्र में छह हजार, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्र में दो हजार प्रति केंद्र मिलता है. यह राशि आज के दौर में काफी कम है. वहीं, इस किराये के राशि में आपसी बंटवारा भी होता है. ऐसे में नियमों को अनदेखा कर जैसे-तैसे और जहां-तहां केंद्रों का संचालन किया जाता है.केंद्रों में बच्चों के लिए बैठने की जगह तक नहीं है और जमीन पर गंदगी के बीच पोषाहार लेते हैं. यह दिया गया है आदेश समाज कल्याण विभाग ने जिलों को आदेश दिया है कि आइसीडीएस का अपना भवन पोषण क्षेत्र में रहने पर केंद्र का संचालन वही करे. वहीं, पोषण क्षेत्र में प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक विद्यालयों में भी केंद्र का संचालन करने के लिए तेजी से काम करें. विद्यालय में जगह नहीं रहने पर संबंधित वार्ड में अन्य सरकारी भवन या सामुदायिक भवन, पंचायत भवन, सरकारी भवनों का संचालन किया जाए. सरकारी भवन नहीं रहने पर उस स्थिति में केंद्र का संचालन किराये के भवन में किया जाए.
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