पटना में दीघा से दीदारगंज तक बनने वाले मरीन ड्राइव के निर्माण में अब एक नई अड़चन आ गयी है. दरअसल बुधवार को रिकाबगंज गंगा मंदिर के किनारे ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए करते हुए पिलर निर्माण के कार्य को रुकवा दिया. इसके लिए किसान जेसीबी के सामने आकर खड़े हो गए. किसानों की मांग है कि जमीन पर कार्य कराने से पहले सरकार अधिग्रहण की प्रक्रिया अपनाते हुए मुआवजे की पूरी राशि का भुगतान करे. इसके बाद ही निर्माण का कार्य करने दिया जायेगा.
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे रामजी प्रसाद ने बताया कि दीघा से दीदारगंज के बीच बनाने वाले मरीन ड्राइव के लिए लगभग 21 बीघा जमीन गंगा किनारे से किसानों से ली जा रही है. जबकि पटना उच्च न्यायालय ने इसी जनवरी माह में आदेश दिया था कि सरकार जरूरत पड़ने पर जमीन अधिग्रहण का कार्य सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद कर सकती है. लेकिन बिना मुआवजा दिये अधिग्रहण किया जा रहा है. इसी के विरोध में प्रदर्शन किया गया.
प्रदर्शन में शामिल शिवजी राय, सत्यनाराण राय, देवेंद्र राय, बिजेंद्र राय, मनोज कुमार समेत सैकड़ों की संख्या में जुटे ग्रामीणों का आरोप था कि राघोपुर प्रखंड के जफराबाद टोक में पड़ने वाली इस जमीन का जमाबंदी रसीद भी मार्च 2023 तक राघोपुर अंचल कार्यालय से कटा हुआ है. इसके बाद भी सरकार मुआवजा देने के बदले जमीन पर जबरन कब्जा कर रही है. ऐसे में पुश्तैनी रैयती जमीन बचाने के लिए उनका संघर्ष कायम रहेगा.
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विरोध प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना था कि जमीन पर लगी वकुआ की सब्जी को नुकसान कर जेसीबी से कच्ची सड़क पर निर्माण कार्य आरंभ कराया गया है. ताकि पिलर बनाने के लिए वहां पर मशीन और उपकरण ला सके. रामजी प्रसाद की मानें तो बीते मंगलवार को राघोपुर के अंचलाधिकारी भी आये थे. लेकिन उन्होंने सार्थक पहल नहीं किया. इसके बाद कच्ची सड़क का निर्माण कंपनी की ओर से करा दिया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि वो विकास कार्य में बाधक नहीं बनेंगे, सरकार को कार्य कराने से पहले नियमानुकूल मुआवजा देना होगा.