पटना के धनरुआ में किसानों ने भारतमाला सड़क परियोजना का काम रोका, जानिए क्यों जेसीबी के आगे बैठ गए
संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में सैकड़ों किसान पटना जिले के मानिक बिगहा व नोनिया बिगहा में जेसीबी के सामने बैठ कर नारेबाजी करने लगे, जिसके कारण भूमि समतलीकरण का कार्य नहीं हो सका.
आमस से जयनगर तक भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत एक्सप्रेस-वे (एनएच-119 डी) के निर्माण को लेकर किसानों की अधिगृहीत भूमि के मुआवजे का मामला लगातार गहराता जा रहा है. इसको लेकर धनरूआ प्रखंड के किसानों का विरोध लगातार जारी है. बीते शुक्रवार को प्रखंड के पिपरावां में किसानों के विरोध का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि सोमवार को प्रखंड के मानिक बिगहा में किसानों का जबर्दस्त विरोध का सामना स्थानीय प्रशासन को झेलना पड़ा.
जेसीबी के आगे बैठ गए किसान
संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में सैकड़ों किसान मानिक बिगहा व नोनिया बिगहा में जेसीबी के सामने बैठ कर नारेबाजी करने लगे, जिसके कारण भूमि समतलीकरण का कार्य नहीं हो सका. हालांकि, बीडीओ शैलजा पांडेय ने बड़ी संख्या में तैनात पुलिस बल की मौजूदगी में समतलीकरण का कार्य कराने का प्रयास किया, लेकिन उसमें वे सफल नहीं हो पायीं. इस दौरान किसान उग्र भी हो गये.
अधिकारियों ने किया समझाने का प्रयास
इस बीच एसडीओ प्रीति कुमारी, डीसीएलआर अमित कुमार पटेल, मसौढ़ी सीओ मृत्युंजय कुमार व धनरूआ राजस्व अधिकारी मधुमिता ने मौके पर पहुंच कर किसानों को समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं हुए. अंततः सभी वापस चले गये.
अधिग्रहित भूमि का कॉमर्शियल रेट की कर रहे मांग
संयुक्त किसान मोर्चा के उमेश शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों कि भूमि सड़क निर्माण के लिए ले रही है. सरकार अधिगृहीत भूमि का मुआवजा कृषि भूमि के आधार पर दे रही है, जबकि यह भूमि कॉमर्शियल व आवासीय है. किसान सरकार के ही तय मानक के अनुसार भूमि के बाजार मूल्य का चार गुना कॉमर्शियल रेट के हिसाब से देने की मांग कर रहे हैं.
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क्या कहना है एसडीओ का
एसडीओ प्रीति कुमारी ने बताया कि किसान अधिगृहीत भूमि का मुआवजा कॉमर्शियल रेट के हिसाब से मांग रहे हैं, जबकि इनकी भूमि का रेट पूर्व से कृषि भूमि का ही देने का प्रावधान है. फिलहाल काम बंद हो गया है . उपायुक्त के स्तर से ही मामले का निबटारा संभव है और इस संबंध में उनसे मिलकर बात की जायेगी.