गुल्लक के पैसों से बेटियों ने किया मां का अंतिम संस्कार, लॉकडाउन के कारण सूरत में फंसे रह गए पिता

कोरोना के कारण चल रहे लॉकडाउन में पिता गुजरात के सूरत में फंसे हैं. इधर, मां की मौत हो गयी. घर में पैसे नहीं थे. बेटियों के सामने मां के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी आ गयी. अचानक आयी आफत से वे सभी घबरायी हुई थीं. लेकिन, हिम्मत की और घर में रखे अपने गुल्लक को तोड़ा और मां का अंतिम संस्कार भी किया.

By Prabhat Khabar News Desk | May 27, 2020 5:48 PM

मांझी (सारण) : कोरोना के कारण चल रहे लॉकडाउन में पिता गुजरात के सूरत में फंसे हैं. इधर, मां की मौत हो गयी. घर में पैसे नहीं थे. बेटियों के सामने मां के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी आ गयी. अचानक आयी आफत से वे सभी घबरायी हुई थीं. लेकिन, हिम्मत की और घर में रखे अपने गुल्लक को तोड़ा और मां का अंतिम संस्कार भी किया. मामला मांझी के फतेहपुर सरेया का है. जानकारी के अनुसार, चार दिन पहले 45 वर्षीया राजमुनि देवी की कमर और पैर में अचानक दर्द होने लगा.

घर में मौजूद बेटियों ने डॉक्टर से दिखाया. लेकिन, रविवार को अचानक बेहोश हो गयीं और उन्होंने दम तोड़ दिया. राजमुनि देवी को पांच बेटियां ही हैं, जिनमें दो का विवाह हो चुका है. जिस समय मां की मौत हुई, उस समय घर में तीन बेटियां मौजूद थीं. पिता राजबलम सिंह कुशवाहा गुजरात के सूरत में मजदूरी करते हैं. लॉकडाउन में वहीं फंसे हैं. घर में मौजूद बेटियों ने शादीशुदा बहन पिंकी व बलेसरा में मौसी के घर रह रही पूजा को भी घटना की सूचना दी.

इसके बाद मंगलवार की सुबह महिला की शवयात्रा निकाली गयी. ग्रामीणों के साथ बेटी पूनम काजल व नेहा ने भी अर्थी को कंधा दिया. पांचवीं बेटी ने मुखाग्नि दी. मदद के लिए आगे आये कई लोग मांझी प्रखंड जीविका समूह से जुड़ी राजमुनि की बेटियों की मदद में राजीव कुमार सिंह व राजू कुमार गुप्ता की पहल पर जीविका दीदियों ने तत्काल 8300 रुपये और खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी. मुखिया संजीत कुमार साह व पूर्व जिप सदस्य धर्मेंद्र सिंह ने भी आर्थिक मदद की. उधर प्रखंड परियोजना पदाधिकारी संजय कुमार ने 25 हजार का बैंक ऋण माफ कराने के साथ युवतियों को प्रशिक्षण के बाद रोजगार उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया.

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