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बेरहम सिस्टम: आंखों में आंसू लिये बेटी की पोस्टमार्टम कराने अस्पताल में घंटो भटकता रहा बेबस पिता

बेरहम सिस्टम- आंखों में आंसू लेकर पिता अस्पताल के चौकीदार के पीछे-पीछे बेटी का पोस्टमार्टम कराने के लिए घंटो भटक रहा

बेरहम सिस्टम सदर अस्पताल मुंगेर में एक बार फिर इंसानियत शर्मसार हुआ. आंखों में आंसू लिये बेटी की पोस्टमार्टम कराने के लिए चौकीदार के साथ बेबस पिता कभी डॉक्टर तो कभी पोस्टमार्टमकर्मी की खोज में घंटों भटकता रहे, ताकि समय पर वापस घर लौटकर मासूम बेटी का अंतिम संस्कार कर सके. बच्ची का शव लेकर पहुंचे ग्रामीणों व चौकीदार को डर लग रहा था कि कहीं अंधेरा न हो जाये. लेकिन सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम व्यवस्था की हालत एक पिता के लिये दुख में और बड़ी मुसीबत बनी रही.


कुएं में डूबने से 10 वर्षीय रितु की हो गयी थी मौत

बताया जाता है कि लड़ैयाटांड थाना क्षेत्र के बंगलवा के कैथमन गांव निवासी रंजन कुमार यादव की 10 वर्षीय बेटी रितु कुमारी शुक्रवार को घर से बकरी चराने के लिए निकली. इसी दौरान वह गांव के एक कुएं में गिर गयी. रितु को कुएं में गिरता देख उसके दादा चिल्लाने लगे. परिजन व ग्रामीण जुटे और शव को बाहर निकाला. जिसके बाद इसकी सूचना धरहरा थाना पुलिस को दी गयी. पुलिस पहुंची और शव को अपने कब्जे कर कागजी प्रक्रिया पूरी कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल मुंगेर भेज दिया.


तीन घंटे पोस्टमार्टम के लिए भटकता रहा चौकीदार व पिता

धरहरा थाना का चौकीदार शव को साथ लेकर पोस्टमार्टम कराने के लिए सदर अस्पताल मुंगेर पहुंचा था. जिसके साथ मृतका के पिता व अन्य परिजन भी थे. शुक्रवार की अपराह्न 3 बजे सभी पोस्टमार्टम हाउस के पास पहुंचे. पहले पोस्टमार्टम हाउस के अंदर जाकर कर्मचारी को खोजा. जब कर्मचारी नहीं मिला तो अस्पताल में चिकित्सक से मिलने गया. चौकीदार राममूर्ति पासवान ने बताया कि चिकित्सक ने पर्ची पर डॉक्टर ने हस्ताक्षर करने के बाद कहा कि जाकर पोस्टमार्टम करने वाले को खोजो. जिसको खोजने में काफी परेशानी हुई. इस गर्मी में हमलोगों को अस्पताल प्रबंधन द्वारा बेवजह परेशान किया जाता है. मृतका के पिता के आंखों से लगातार आंसू निकल रहा था. जो चौकीदार के पीछे-पीछे बेटी का पोस्टमार्टम कराने के लिए भटक रहा था. उन्होंने कहा कि एक तो बेटी मर गयी और अब पोस्टमार्टम कराने के लिए भटकना पड़ रहा है.


तीन घंटे बाद हुआ पोस्टमार्टम

बताया जाता है कि जैसे-जैसे समय बीत रहा था, वैसे-वैसे ग्रामीण और चौकीदार की परेशानी बढ़ती जा रही थी. उनको पता था कि शाम होने के बाद पोस्टमार्टम नहीं होता है. क्योंकि इसके लिए जिलाधिकारी का आदेश लेना पड़ता है. जो इन लोगों के लिए मुश्किल भरा काम है. अगर किसी तरह पोस्टमार्टम हो भी जाये तो शव को पुन: बंगलवा ले जाकर उसको रात में अंतिम संस्कार करना मुश्किल होगा. हालांकि मीडियाकर्मियों के हस्तक्षेप से तीन घंटे बाद लगभग 6 बजे बच्ची का पोस्टमार्टम हुआ और शव परिजनों को सौंप दिया गया.


लचर सिस्टम और लापरवाही से उत्पन्न हो रही समस्या

बताया गया कि पोस्टमार्टम हाउस में तैनात कर्मी की पूर्व में मौत हो चुकी है. एक व्यक्ति को प्राइवेट स्तर पर अस्पताल प्रबंधन ने रखा है. जिसको काफी कम मानदेय दिया जाता है. जिसके कारण वह ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा है. जबकि अस्पताल में भी चिकित्सक व कर्मी कोई खास दिलचस्पी नहीं लेते. हाई प्रोफाइल मामला रहा अथवा जिसमें सीधे दारोगा स्तर के पदाधिकारी पहुंचते है तो उसमें विलंब नहीं होता. लेकिन आज जो मृत बच्ची के पोस्टमार्टम कराने में पिता व चौकीदार को परेशानी हुई. ऐसे मामले भी लगातार आते हैं.

कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक

अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमण ने कहा कि 5 बजे के बाद पोस्टमार्टम कराने के लिए शव को लाया गया, क्योंकि पर्ची पर वही लिखा हुआ है. प्रक्रिया पूरी होने में जो भी समय लगा, उसके बाद तत्काल शव को पोस्टमार्टम किया गया.

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