अनुज शर्मा, पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में अगस्त माह तक 34802 टन उर्वरक की जरूरत थी. लेकिन आपूर्ति 30081 टन ही हुई. पटना को 31397 टन के मुकाबले 26341 टन ही मिला. इसके विपरीत नेपाल व नेपाल सीमा से सटे जिलों में जरूरत से अधिक उर्वरक बांट दिया गया.
सरकार और विपक्ष के बीच फर्टिलाइजर की उपलब्धता और वितरण को लेकर मचे घमासान के बाद कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने आपूर्ति व्यवस्था में बदलाव कर दिया है. पूर्व कृषि मंत्री के कार्यकाल में जिन जिलों में फसल आच्छादन के मुकाबले अधिक फर्टिलाइजर भेज दिया गया था वहां अब आपूर्ति नहीं की जायेगी. 95 फीसदी से अधिक आपूर्ति वाले जिले इस श्रेणी में रखे गये हैं. मंत्री का कहना है कि नेपाल और बांग्लादेश की सीमा से सटे जिला में यूरिया डीएपी की तस्करी हुई थी. यहां जरूरत से अधिक यूरिया भेजा गया था, वहां तस्करी की गयी है.
सुधाकर सिंह सिंह का कहना है कि अगस्त तक पूर्णिया में 25723 टन फर्टिलाइजर की जरूरत थी. यहां 28867 टन आपूर्ति कर दी गयी. मांग के सापेक्ष 12 फीसदी अधिक यूरिया पूर्णिया ही नहीं भेजी गयी, बल्कि मधेपुरा में 23 फीसदी , सहरसा में तीन, सुपौल में सात तथा कटिहार में 10 फीसदी अधिक यूरिया भेजी गयी.
अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जिलों में 95 फीसदी से अधिक यूरिया- डीएपी को उपलब्ध कराना शंका पैदा कर रहा है क्योंकि यहां फसल की रोपनी उतनी नहीं हुई है , जितनी उन जिलों में जहां फर्टिलाइजर कम मात्रा में भेजा गया है. इस कारण उर्वरक की आपूर्ति 95 फीसदी से अधिक पाने वाले जिलों में फिलहाल रैक भेजने से मना किया गया है. इससे सभी जिलों में जरूरत के अनुसार उर्वरक उपलब्ध होने में मदद मिलेगी. कालाबाजारी पर भी अंकुश लगेगा.
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बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा की पूर्व कृषि मंत्री के कार्यकाल में नेपाल और बंग्लादेश के बार्डर पर फर्टिलाइजर तस्करी हुआ है. जिस एरिया में 95 फीसदी से अधिक जिलों में हो गया है वहां फर्टिलाइजर की आपूर्ति रोककर उन जिलों को भेज रहे हैं जहां कम आपूर्ति हुई थी.