हाइलाइट्स
- विश्व में कम हो रही बाघों की आबादी की ओर ध्यान दिलाने और इसके संरक्षण के लिए जागरूकता लाने के लिए World Tiger Day मनाया जाता है.
- 53 टाइगर रिजर्व हैं देश में, जो 75 हजार वर्ग किमी में फैले हैं. ये देश की कुल भूमि का 2.4 प्रतिशत है.
- 3167 बाघ हैं देश में जो 2006 में केवल 1411 थे.
- 75 प्रतिशत बाघ भारत में हैं दुनिया के कुल बाघों के
- 55 बाघ हैं वर्तमान में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में
- 153 एकड़ में फैला है राजधानी पटना का संजय गांधी जैविक उद्यान
जूही स्मिता, World Tiger Day: 29 जुलाई को हर साल विश्व के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों के संरक्षण और उनकी विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के उद्देश्य से मनाते हैं. इस मौके पर लोगों को बाघ के प्रजातियों के खत्म होते अस्तित्व के प्रति जागरूक करते हैं.
1973 में दिल्ली से आया था पहला बाघ
राजधानी पटना के जू में बाघों का इतिहास काफी पुराना रहा है. यहां सबसे पहला बाघ 1973 में दिल्ली के चिड़ियाघर से लाया गया था. दिल्ली से लाये गये इस पहले नर बाघ का नाम ‘मोती’ था. इसके बाद वर्ष 1980 में असम सरकार की ओर से दो मादा बाघिन ‘बल्बो रानी’ और ‘फौजी’ को पटना जू लाया गया. यहां 1983 में बाघों का प्रजनन शुरू हुआ. पहली बार शहर के जू में 1983 में मादा बाघिन ‘बल्बो रानी’ ने एक मादा शावक को जन्म दिया था. बाघों के वंशवृद्धि में सुधार के लिए शिवपुर, हैदराबाद और तिरुपति चिड़ियाघर से भी बाघ मंगाये गये. इसके अलावा पटना जू से रांची के चिड़ियाघर में भी बाघों को भेजा गया. वर्ष 2019 में ‘नकुल’ और ‘संगीता’ को चेन्नई चिड़ियाघर से लाया गया था.
सीएम नीतीश कुमार ने किया था शावकों का नामकरण
पटना जू में फिलहाल सात बाघ हैं. इनमें चार मादा और तीन नर हैं. बाघिन ‘संगीता’ ने 25 मई 2022 को तीन नर और एक मादा शावक को जन्म दिया था. इन चारों शावकों का नामकरण 29 जुलाई 2022 को सीएम नीतीश कुमार ने किया था. ‘रानी’, ‘केशरी’, ‘विक्रम’ और ‘मगध’ लेकिन, फरवरी 2023 में इनमें से एक शावक ‘मगध’ की मौत संक्रामक बीमारी की वजह से हो गयी थी.
फिलहाल पटना जू में चार मादा बाघ ‘भवानी’, ‘बाघी’, ‘संगीता’ और ‘रानी’ है. इसके अलावा तीन नर बाघ ‘नकुल’, ‘केशरी’ और ‘विक्रम’ है, जो यहां आने वाले विजिटर्स के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं. पिछले साल दो बाघ (मादा बाघिन ‘देवी’ और नर बाघ ‘बागिरा’) राजगीर जू सफारी भेजे गये हैं. ऐसे में यहां अब इसकी संख्या सात रह
गयी है.
बाघो की आंखों को देखकर से अंदाजा लगा लेते है कि उनका मूड कैसा है
पटना जू के पशुपालक महेश झा पिछले नौ साल से सातों बाघ का ख्याल रख रहे हैं. वे बाघों के खान-पान से लेकर उनकी देखरेख तक करते हैं. महेश कहते हैं, जानवरों का दिमाग काफी तेज होता है. वह आवाज व चेहरा लंबे समय तक याद रखते. अगर कोई नया चेहरा आता है, तो काफी आक्रामक हो जाते हैं. जानवर प्यार और दुलार की भाषा समझते हैं. जैसे कभी इंसानों का मूड बदलता है वैसे ही इनका भी मूड बदलता है. लंबे समय से इनके साथ रहने की वजह से अब इनकी आंखों को देखकर मैं उनके मूड का अंदाजा लगा लेता हूं.
महेश झा ने बताया कि उनकी ड्यूटी सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक होती है. बाघों को बाड़े से रोटेशन वाइज हर दिन अलग-अलग निकाला जाता है. सुबह और शाम में जू के पशु चिकित्सक उनका रेगुलर चेकअप करते हैं. शाम में छह बजे के बाद सभी बाघों को खाना दिया जाता है. मैं जिस बाघ का नाम लेकर पुकारता हूं, वह इनक्लोजर के पास चले आते हैं, जबकि मेरी अनुपस्थिति में दूसरे पशुपालकों को थोड़ी परेशानी होती है.
पटना जू में बाघों की संख्या व उनका नाम
- नाम-जेंडर-उम्र
- भवानी-मादा-10 वर्ष
- बाघी-मादा-7 वर्ष
- संगीता-मादा-10 वर्ष
- नकुल-नर-10 वर्ष
- केशरी-नर-2 वर्ष
- रानी-मादा-2 वर्ष
- विक्रम- 2 वर्ष
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व : 2010 में थे आठ बाघ, 2022 में इनकी संख्या बढ़कर हुई 52
बीते चार सालों में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में उत्साह जनक वृद्धि दर्ज की गयी है. लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैले टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में आशातीत वृद्धि दर्ज की गयी है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वर्ष 2010 में केवल आठ बाघ थे. वर्ष 2014 में 23 बाघ हो गये. वर्ष 2018 में गणना के मुताबिक टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़कर 31 हो गयी. यह संख्या 2022 में बढ़कर 52 पहुंच गई. आंकड़ों की माने तो टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 55 बाघ है. शावकों की गिनती करने पर यह संख्या बढ़ जायेगी.
उम्मीद : 2026 तक टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या हो जायेगी 70
पूरे वीटीआर में लगभग दो हजार वर्ग हेक्टेयर से ज्यादा घास का मैदान है. इसे पांच हजार वर्ग हेक्टेयर तक बढ़ाने की वन प्रशासन की योजना है. घास के मैदान बढ़ने से शाकाहारी जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह बाघों के लिए अच्छा है. रिहायशी क्षेत्रों की ओर बार-बार बाघों का निकलना उनकी बढ़ती जनसंख्या को दर्शाता है.हालांकि टाइगर रिजर्व में जिस अनुपात में बाघों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है, उसी अनुपात में वन क्षेत्र के अंदर शाकाहारी जानवरों की तादाद में भी वृद्धि दर्ज की गई है. ज्ञात हो कि प्रत्येक 4 वर्ष पर बाघों की गणना की जाती है.
वन प्रेमियों को की माने तो उम्मीद है कि 2026 की गणना में टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 70 को पार कर जायेगी. इस बाबत पूछे जाने पर वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ नेशामणि ने बताया कि वन प्रशासन बाघों की टाइगर रिजर्व में बढ़ती जनसंख्या से काफी उत्साहित है. वन प्रशासन वन्य जीव की सुरक्षा उनके विकास और उनके संवर्धन के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है.
ऐसे बढ़ती गयी पटना में बाघों की दहाड़
- 1973 : पहली बार दिल्ली चिड़ियाघर से पटना जू लाया गया था नर बाघ मोती
- 1980 : असम से दो मादा बाघिन बल्बो रानी और फौजा आयी थी पटना जू
- 1983 : पहली बार पटना जू में शुरू हुआ था बाघों का प्रजनन
- 1983 : ‘बल्बो रानी’ ने एक मादा मादा शावक को जन्म दिया था
- 1984 : के बाद बाघों के वंशवृद्धि में सुधार के लिए शिवपुर, हैदराबाद व तिरुपति जू से भी बाघ आये थे
- 2019 : पटना जू में बाघ के एक जोड़े (नकुल और संगीता) को चेन्नई चिड़ियाघर से लाया गया था
- 2019 : तमिलनाडु के अरिगनर अन्ना जूलॉजिकल पार्क वंडालूर से पटना लाया गया था संगीता को
- 25 मई 2022 : बाघिन संगीता ने तीन नर और एक मादा शावक को जन्म दिया था
- 28 जुलाई 2023 : तक राजधानी पटना के जू में चाय व्यस्क और तीन शावक बाघ हैं
अब देखिए पटना जू के बाघों की कुछ तस्वीरें
इनपुट : मनीष कुमार, फोटो : सरोज