पटना में होमियोपैथिक दवाओं से बनायी जा रही थी विदेशी शराब, दो फैक्टरियों में छापेमारी, सप्लायर गिरफ्तार

शराब माफिया शराब बनाने के लिए होमियोपैथिक दवाओं का उपयोग कर रहे थे. इनमें शराब में फ्लेवर, रंग और नशे के लिए अलग-अलग दवाएं शामिल हैं. बताया जा रहा है कि स्प्रीट (100% अल्कोहल) और एक होमियोपैथिक दवा (90% अल्कोहल) है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 21, 2022 7:32 AM

पटना. सघन चेकिंग अभियान में एक होम डिलिवरी ब्वॉय की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पटना में शराब की अवैध फैक्टरी का खुलासा किया है. मामला पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के विजय नगर मोड़ का है. पुलिस ने दो फैक्टरी समेत शराब की खाली बोतल देने वाले गोदाम में छापेमारी कर तीन और लोगों को गिरफ्तार किया है. यहां महज दो मिनट में एक बोतल शराब बनायी जा रही थी. इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सिटी एसपी इस्ट प्रमोद कुमार ने बताया कि होमियोपैथिक दवाओं से अवैध फैक्टरी में विदेशी शराब बनायी जा रही थी और उसकी पैकिंग कर मार्केट में बेचा जा रहा था.

गिरफ्तार आरोपितों में डिलिवरी ब्वॉय बबलू कुमार यादव, विजयनगर स्थित फ्लैट का मालिक अरविंद कुमार मिश्र, गौरीचक स्थित अजीमचक के तीन मंजिले मकान का मालिक सन्नी कुमार और खाजेकला थाना क्षेत्र के गुरहट्टा निवासी संजय कुमार शामिल है. पुलिस ने भारी मात्रा में होमियोपैथिक दवाएं, स्प्रीट व शराब की पैकिंग के सामान, मशीन और खाली बोतल को जब्त कर लिया है. इस मामले में गौरीचक, आलमगंज और पत्रकार नगर थाने में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इस मामले में एक डॉक्टर का भी नाम सामने आया है, जो होमियोपैथिक दवाएं शराब माफियाओं को उपलब्ध करवाता था.

ऐसे हुआ खुलासा

गुरुवार देर रात गश्ती के दौरान पुलिस को विजय नगर मोड़ के पास स्कूटी सवार एक संदिग्ध युवक दिखा. पुलिस को देख युवक भागने लगा, जिसे खदेड़ कर गिरफ्तार कर लिया गया. तलाशी में दो बोतल विदेशी शराब मिली, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर थाने ले आयी. पूछताछ के दौरान मामले का खुलासा हुआ.

रंग और फ्लेवर लाने के लिए दवाओं का उपयोग

शराब माफिया शराब बनाने के लिए होमियोपैथिक दवाओं का उपयोग कर रहे थे. इनमें शराब में फ्लेवर, रंग और नशे के लिए अलग-अलग दवाएं शामिल हैं. बताया जा रहा है कि स्प्रीट (100% अल्कोहल) और एक होमियोपैथिक दवा (90% अल्कोहल) है. सबसे पहले बोतल को साफ कर उसमें थोड़ा स्प्रीट, फिर होमियोपैथिक दवा और उसमें थोड़ा पानी मिलाया जाता है. इसके बाद उसमें रंग और फ्लेवर लाने के लिए अलग से होमियोपैथिक दवाओं (रसायन) का इस्तेमाल किया जाता था. इस पूरी प्रक्रिया के बाद उसे सील कर एयर पैक करने के लिए मशीन का उपयोग किया जाता था और बाद में उसमें बैच और स्टिकर लगा कर उसे तैयार कर दिया जाता था.

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25 से 30 लोगों का है पूरा गिरोह, सभी के बंटे हैं अलग-अलग काम

इस पूरे गिरोह में 25 से 30 लोग शामिल है. सबसे बड़ी बात की इनमें कई बड़े नाम हैं, जिनके बारे में पुलिस जांच कर रही है. बताया जा रहा है कि इस फैक्टरी से बड़े-बड़े कार सवार शराब की खेप ले जाते थे और बिहार के कई जिलों में बेचते सप्लाइ करते थे. शराब पर लगने वाले स्टीकर, बैच नंबर और ढक्कन कहां से लाया जा रहा था इसकी जानकारी पुलिस को मिल गयी है. इस पूरे गिरोह में सभी के अलग-अलग काम थे. कोई स्टीकर लगाता, कोई एयर भरता, शराब बनाता, कोई डिलिवरी करता, कोई ग्राहक खोजने समेत अन्य तरह के काम करते थे.

उपयोग की गयी शराब की बोतलों का करते थे इस्तेमाल

पत्रकार नगर थानाध्यक्ष मनोरंजन भारती ने बताया कि छापेमारी के दौरान आलमगंज के दो कबाड़ के गोदाम से हजारों की संख्या में खाली बोतल बरामद हुई है. उन सभी बोतलों को अच्छे से साफ कर उसे फिर से उपयोग में लाया जा रहा था. इससे यह साफ होता है कि ये सारी बोतलें पहले से उपयोग में लायी गयी हैं और उसे साफ कर गौरीचक और विजयनगर स्थित फैक्टरी में शराब के लिए भेजा जा रहा था.

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