फुलवारीशरीफ. बुधवार को एम्स पटना के फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग ने राष्ट्रीय फोरेंसिक मेडिसिन दिवस पर यौन उत्पीड़न की चिकित्सा कानूनी जांच में चुनौतियां ‘विषय पर सीएमइ का आयोजन किया. सीएमइ कार्यक्रम में एफएमटी विभाग के डॉ तोशल वानखड़े द्वारा संचालित और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विनोद कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में यौन उत्पीड़न से बचे लोगों की चिकित्सा जांच की सुविधा, ऐसे मामलों में शामिल चुनौतियों पर एक पैनल पर चर्चा हुई. पुलिस विभाग का योगदान और सहयोग, सबूतों की व्याख्या करने और बचे लोगों को जल्द से जल्द न्याय प्रदान करने में न्यायपालिका की भूमिका पर चर्चा हुई.
निदेशक प्रो (डॉ) जीके पाल ने एफएमटी विभाग में डीएम सुपर स्पेशयलिटी कोर्स शुरू करने की बात कही और न्याय वितरण प्रणाली में फोरेंसिक मेडिसिन की भूमिका से भी अवगत कराया. उन्होंने जांच प्राधिकरण की मदद के लिए विश्व स्तरीय फोरेंसिक जांच सुविधाओं के साथ एम्स पटना में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का फोरेंसिक मेडिसिन विभाग बनाने के अपने दृष्टिकोण को साझा किया. न्यायमूर्ति विनोद कुमार सिन्हा (पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश) ने यौन उत्पीड़न जांच में अपनी न्यायपालिका संबंधी अंतर्दृष्टि साझा की. बिहार पुलिस के एडीजी पारसनाथ सिंह ने कहा कि बिहार पुलिस कर्मियों को ऐसे अपराधों की जांच करने और ऐसे मामलों में उचित समन्वय सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है. समारोह में प्रो (डॉ) प्रेम कुमार डीन (शैक्षणिक), प्रो (डॉ) पूनम प्रसाद भदानी, डीन (छात्र मामले), प्रो (डॉ) अनूप कुमार, चिकित्सा अधीक्षक और डीन (परीक्षा) ने भी अपने विचार व्यक्त किया. फोरेंसिक मेडिसिन, बाल रोग, स्त्री रोग, कानून और फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किये.
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