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बिहार में क्यों रूका है वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य? जानिए कहां फंसा है पेच…

वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का काम बिहार में रूका हुआ है. एक्सप्रेसवे निर्माण में फॉरेस्ट क्लीयरेंस का इंतजार है. जानिए कहां पेच है.

By ThakurShaktilochan Sandilya | August 19, 2024 9:53 AM

वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे (varanasi kolkata expressway) बनने का इंतजार बिहार को भी बेसब्री से है. वाराणसी और कोलकाता के बीच बनने वाली 626 किलोमीटर की यह सड़क यूपी, बिहार, झारखंड और बंगाल से गुजरेगी. बिहार में कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिले से होकर यह सड़क गुजरेगी. वाराणसी से कोलकाता की यात्रा इस सड़क से सुगम हो जाएगी. बिहार में इस सड़क के निर्माण को लेकर एक पेच फंसा हुआ है.

बिहार के हिस्से में क्यों रूका है निर्माण…

बिहार के हिस्से में वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे निर्माण में फॉरेस्ट क्लीयरेंस का इंतजार है. इसके निर्माण के लिए करीब 70 हजार पेड़ काटे जाने हैं. इसे लेकर एक अगस्त को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने इस सड़क के निर्माण स्थल का निरीक्षण कर विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की थी. उन्होंने एनएचएआइ के अधिकारियों से कहा है कि इतने पेड़ों को काटे बिना ही सड़क निर्माण का विकल्प तलाशें. उन्होंने अपनी तरफ से इस सड़क को एलिवेटेड बनाने का विकल्प दिया है. साथ ही इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भी पत्र लिखकर वस्तुस्थिति से अवगत करवाया है.

बिहार में किन जिलों से होकर गुजरेगी सड़क?

सूत्रों के अनुसार वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे की लंबाई करीब 626 किमी है. यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड होकर पश्चिम बंगाल पहुंचेगी. यह बिहार के चार जिलों से होकर करीब 159 किमी लंबाई में गुजरेगी. इन जिलों में कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया शामिल हैं. बिहार के हिस्से में इसकी अनुमानित लागत करीब 19 हजार करोड़ रुपये है. इस सड़क का निर्माण कोलकाता की तरफ से हो रहा है, जबकि बिहार के हिस्से में निर्माण रुका हुआ है.

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कबतक बनकर तैयार होगी ये सड़क?

बताते चलें कि इस एक्सप्रेसवे का हिस्सा सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में करीब लंबाई 242 किमी लंबाई में होगा. झारखंड में यह 203 किमी और उत्तर प्रदेश में केवल 22 किमी लंबाई में ही सड़क बनेगी. इसके बनने से वाराणसी से कोलकाता की यात्रा में करीब 50 फीसदी समय लगेगा. इसका निर्माण 2026 तक पूरा होने की संभावना है.

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