पटना. राजधानी में गणेशोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. 31 अगस्त से शुरू हो रहे पर्व के लिए दो साल बाद मूर्तिकार इस बार बड़े आकार के बदले छोटे साइज में बप्पा की प्रतिमा तैयार करने में जुटे हैं. मूर्तिकारों को कहना है कि छोटे आकार की मूर्ति लोगों की पहली पसंद है. शाइनिंग के लिए फ्लोरोसेंट कलर्स का ही चलन है. कोरोना से उबरने के बाद इस वर्ष बड़े आकार की मूर्तियों का भी निर्माण हो रहा है. शहर के बेली रोड में कई जगह मूर्तियों का निर्माण होता है.
मूर्तिकार धनराज ने बताया कि गणेश चतुर्थी के आते ही दो से तीन दिन पहले मार्केट में छोटी-छोटी प्रतिमाओं की बिक्री शुरू हो जायेगी. इस साल मूर्तियों के निर्माण पर भी महंगाई का असर साफ देखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि पिछले दो साल के मुकाबले इस बार कच्चे माल सहित रंग-रोगन की कीमत में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. धनराज ने बताया कि हर साल नये-नये डिजाइन में मूर्तियां तैयार करते हैं. इस बार गूगल का सहारा लेकर बप्पा की मूर्तियों में नया रूप देने का प्रयास किया है. 200 से पांच हजार रुपये के रेंज में मूर्तियां उपलब्ध है.
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मूर्तिकार आनंद ने बताया कि दो साल बाद इस वर्ष अधिक मूर्तियां बिकने की उम्मीद है. लेकिन अतिक्रमण के नाम पर मूर्तिकारों को तंग किया जा रहा है. इसके कारण तैयार मूर्तियां सूख नहीं पा रही हैं. 20 सालों से हम लोग यहां मूर्तियां बनाकर घर-परिवार चला रहे हैं. सरकार प्रवासी कलाकारों पर थोड़ा भी ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने बताया कि यहां बड़ी मूर्तियों की मांग नहीं के बराबर है. लोग मेहनताना देने को तैयार नहीं होते हैं. अमर प्रजापति ने बताया कि श्रीगणेश की छोटी मूर्तियों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है. रंग-रोगन का काम अंतिम चरण में है.