संवाददाता, पटना
सनातन धर्मावलंबियों के ज्येष्ठ मास के सबसे प्रमुख पर्व गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी में 16 जून यानी रविवार को हस्त नक्षत्र व वरीयान योग में मनाया जायेगा. इस दिन ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग भी बन रहा है. वराह पुराण के अनुसार इसी दिन धरती पर वृष लग्न व हस्त नक्षत्र में मां गंगा का धरा पर अवतरण हुआ था. ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा पृथ्वी पर शुद्धता और संपन्नता लेकर आयी थी. प्रभु श्रीराम ने रामेश्वरम में इसी दिन शिवलिंग की स्थापना की थी.
आचार्य राकेश झा ने स्कन्द पुराण के हवाले से बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को संवत्सरमुखी की संज्ञा दी गयी है. इसमें स्नान और दान बहुत ही पुण्यप्रद माना गया है. इस दिन हस्त नक्षत्र, सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग, रवियोग का पुण्यकारी संयोग बन रहा है. गंगा दशहरा के दिन सत्तू, पंखा, ऋतुफल, सुपाड़ी, गुड़, जल युक्त घड़ा के दान से आरोग्यता, समृद्धि और वंश वृद्धि का वरदान मिलता है. इस दिन स्नान के बाद दस दीपों की दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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