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पटना के गंगा घाटों पर छठ को लेकर संशय, बांस घाट, कुर्जी और एलसीटी घाट के रास्ते पर फिर बढ़ा पानी

गंगा नदी तक जाने के लिए रास्ता निर्माण के लिए कम-से-कम 10 दिनों का समय जरूरी होता है. लेकिन गंगा नदी में एक बार फिर से पानी बढ़ने लगा है और इस कारण से रास्ते का निर्माण भी नहीं हो पा रहा. एक-दो दिनों में अधिकारियों की टीम फाइनल निरीक्षण कर खतरनाक घाट और सही घाटों की सूची फाइनल करेगी.

इस बार पटना में गंगा नदी के किनारे छठ महापर्व आयोजन को लेकर दबाव की स्थिति हो सकती है. छठ में अब सिर्फ 18 दिनों का समय शेष है. लेकिन, गंगा नदी में एक बार फिर से पानी बढ़ने लगा है. बीते दो दिनों में दीघा और गांधी घाट पर जल स्तर बढ़ा है. पानी बढ़ने के कारण बांस घाट, कुर्जी, एलसीटी सहित दीघा के कई घाटों के पास गंगा के पाट क्षेत्र में पानी भर गया है. ऐसे में इन घाटों तक जाने के लिए रास्ता बनाने का काम मुश्किल होगा. अगर समय पर रास्ता निर्माण पूरा नहीं होता है, तो इन बढ़े घाटों पर छठ आयोजन को लेकर संशय की स्थिति हो सकती है.

बांस घाट

इस घाट पर गंगा के किनारे जाने के लिए के लिए करीब 2.5 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. इस बार कच्चे रास्ते के बीच में गंगा पथ का निर्माण हो चुका है. गंगा पथ को पार करने के लिए अंडर पास का प्रयोग करना होगा. मगर वर्तमान स्थिति में पूरे रास्ते और अंडरपास के नीचे पानी भरा हुआ है. पिछली बार भी इस घाट पर पानी भरने के कारण छठ नहीं हो पाया था.

कुर्जी घाट

इस घाट पर जाने का पूरा रास्ता कच्चा है. पूर्व में कई बार इस घाट पर कटाव होने के कारण छठ नहीं हुआ है. वर्तमान में बालू पर 83 घाट के सामने गंगा पथ के अंडरपास पर बने घाट के सहारे जाया जा सकता है, लेकिन, कुर्जी घाट पर बिंद टोली से लेकर गंगा घाट तक रास्ते पर हर तरफ पानी भरा हुआ है.

एलसीटी घाट

इस बार इस घाट के सामने मुख्य सड़क से गंगा पथ तक जाने के लिए रास्ते पर स्थायी एप्रोच रोड का निर्माण किया जा रहा है. लेकिन, गंगा पथ के आगे गंगा के तट तक जाने वाले रास्ते पर पानी भरा हुआ है. इसलिए रास्ते का निर्माण अभी शुरू नहीं हो सकता.

कम-से-कम चाहिए 10 दिनों का समय

गंगा नदी तक जाने के लिए रास्ता निर्माण के लिए कम-से-कम 10 दिनों का समय जरूरी होता है. उससे पूर्व रास्ता निर्माण के लिए निविदा आदि की प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं. मालूम हो कि पिछली बार शहर के 48 तालाब और 92 घाटों पर छठ महापर्व के आयोजन हुआ था. इस बार प्रशासन की ओर से 105 घाटों की सूची तैयारी की गयी है. एक-दो दिनों में अधिकारियों की टीम फाइनल निरीक्षण कर खतरनाक घाट और सही घाटों की सूची फाइनल करेगी.

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