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15 साल में कितना बदला बिहार? IPS अधिकारी विकास की नजर से पढ़िए राज्य की ‘वैभव’ यात्रा

2005 से पहले और बाद के बिहार में अपराध की तुलना आम जनों से लेकर सियासी गलियारों तक हो रही है. बिहार पुलिस में आईजी रैंक के पद पर सेवा दे रहे आइपीएस अधिकारी विकास वैभव ने भी इस मामले में अपना अनुभव साझा किया है. एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने 15 साल पहले और वर्तमान के बिहार का जिक्र कर अपराध के बारे में चर्चा की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2021 7:02 PM

2005 से पहले और बाद के बिहार में अपराध की तुलना आम जनों से लेकर सियासी गलियारों तक हो रही है. बिहार पुलिस में आईजी रैंक के पद पर सेवा दे रहे आइपीएस अधिकारी विकास वैभव ने भी इस मामले में अपना अनुभव साझा किया है. एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने 15 साल पहले और वर्तमान के बिहार का जिक्र कर अपराध के बारे में चर्चा की.

विकास वैभव ने बताया कि वो अपने विद्यार्थीकाल के दौरान से बिहार में अपराध को देखते आए. उस दौर में बिहार में पेपर लीक होना और पकड़कर जबरन शादी कराना आम था. उन्होंने बताया कि वो इसपर लगाम लगाना चाहते थे और उससे प्रेरित होकर पुलिस विभाग में आए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि गंगाजल फिल्म में जिस बिहार को दिखाया गया है वो बहुत हद तक सही है. उस समय थानों की हालत कैसी थी, कैसे दवाब आता है और उसके बीच काम करना पड़ता था, ये उन दिनों की हकीकत रही है. जिसपर काफी रिसर्च करके इस फिल्म को बनाया गया है.

वहीं इसी क्रम में उन्होंने गंगाजल फिल्म के बारे में बताया कि इस फिल्म में कुछ चीजें सही दिखाई गई है. उस दौर में बिहार में कई आपराधिक गैंग्स चलते थे. किसी गैंग का काम पकड़ना था, किसी का रखना तो किसी का काम पैसा रखना था. उन्होंने कहा कि मैं खुद इन घटनाओं का गवाह रहा हूँ. बगहा और पटना में मैने ये पोस्टिंग के दौरान देखा. किडनैपिंग को इनवेस्टिगेट किया और देखा कि कैसे अपराधियों के चुंगल से छुड़ाना पड़ता है.मैने पुलिस के उन संघर्षों को करीब से देखा है.

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विकास वैभव ने बताया कि अब काफी चीजें बदल गई हैं. 15 साल के पहले जो हाल था अब बिहार का वो हाल नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं कार्रवाई करने में कभी नहीं चूका और कभी ये नहीं सोचा कि सामने वाला कितना प्रभावी है. उन्होंने कहा कि कानून से बड़ा दबंग कोई नहीं है. कानून का राज होना चाहिए. गैंगस्टरों के साथ कड़ाई से ही पेश आना पड़ता है.

उन्होंने बताया कि बिहार का इतिहास कम भी लिखा गया तो उसके गौरव गाथा को कम नहीं किया जा सका. बिहार ज्ञान की भूमि रही है. उपनिषद मिथिला की भूमि से ही लिखे गए. अनेकों दर्शन यहां से निकले. बौद्ध व जैन दर्शन इसका उदाहरण है. बिहार शौर्य की भूमि रही है.

Posted By :Thakur Shaktilochan

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