नयी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में राजपथ पर इस बार लगातार सातवें साल भी बिहार की कोई झांकी नहीं दिखेगी. इस बार राज्य सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने गया में फल्गु नदी पर बने रबर डैम को बिहार की झांकी के रूप में पेश करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे केंद्र सरकार की तरफ झांकी का चयन करने वाली एक्सपर्ट कमेटी ने खारिज कर दिया. इसकी बड़ी वजह इसे झांकी के मानकों पर खरा नहीं उतरना बताया जा रहा है.
वहीं बिहार सरकार की तरफ से भेजा गया यह इकलौता प्रस्ताव था, जबकि कुछ राज्यों ने कई प्रस्ताव भेजे हैं. छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की तरफ से चार-चार प्रस्ताव भेजे गये हैं. ऐसे में अधिक प्रस्तावों में से किसी एक का चयन होने की संभावना अधिक रहती है.
जानकारों का कहना है कि इस रबर डैम को बिहार की झांकी के रूप में पेश करने की बड़ी वजह यह है कि इसके बनने से वर्षों बाद इस बार पितृ तर्पण करने पहुंचे लोगों को पानी को लेकर परेशानी नहीं हुई. इसके लिए गया का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है. सालों बाद पहली बार विष्णुपद मंदिर के घाट पर छठ व्रत भी मनाया गया. इससे पहले बरसात छोड़ कर अन्य मौसम में फल्गु नदी लगभग सूख जाती थी. ऐसे में पितृ तर्पण के लिए लोगों को चापाकल आदि लगा कर पानी का इंतजाम करना पड़ता था. करीब 312 करोड़ रुपये से बने देश के सबसे लंबे इस रबर डैम का सितंबर, 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकार्पण किया था.
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2017 में विक्रमशिला-एक प्राचीन शैक्षणिक संस्थान की थीम भेजी गयी थी. 2018 में छठ महापर्व, 2019 में शराबबंदी और 2020 व 2021 के लिए जल-जीवन-हरियाली की थीम भेजी गयी थी. इसी तरह 2022 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए झांकी का जो प्रस्ताव भेजा गया था, उसकी थीम थी-गांधी के पदचिह्नों पर अग्रसर बिहार.