संवाददाता, पटना प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में फर्जीवाड़े पर रोक लगाने को लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग ने स्वीकृत आवासों की जियो टैगिंग अनिवार्य कर दी है. इसकी तकनीक की मदद लेकर राज्य व केंद्र के विभागीय पदाधिकारी मुख्यालय से ही जमीन पर बनने वाले एक-एक आवास निर्माण की मॉनिटरिंग कर सकेंगे. जियो टैगिंग की जिम्मेदारी निकायों को दी गयी है, जिसे राज्य सरकार के साथ केंद्र के पोर्टल से भी जोड़ा जायेगा. बगैर इसे पूरा किये भुगतान नहीं होगा. राज्य सरकार ने जियो टैगिंग को लेकर 46.65 लाख रुपये का आवंटन उपलब्ध कराया है. निर्माण की तस्वीर अपलोड करनी जरूरी : जियो टैगिंग के तहत शहर निकाय के पदाधिकारियों को स्वीकृत आवासों के फाउंडेशन से लेकर कंपलीशन तक की फोटो आक्षांश-देशांतर के साथ अपलोड करनी होगी. इससे पहला फायदा होगा कि पदाधिकारियों को रियल टाइम पर निर्माण और भुगतान की जानकारी मिलती रहेगी. इसके साथ ही आक्षांश-देशांतर कोर्डिनेट उपलब्ध होने से लाभुक का भौतिक सत्यापन भी सुनिश्चित हो सकेगा. आवास निर्माण की स्थिति को देखते हुए लाभुकों को अगली किश्त की राशि का भुगतान किया जायेगा. सर्वेयरों को सबसे पहले ग्राउंड, फिर फाउंडेशन, उसके बाद लिंटेल, रूफ और फिर पूर्ण अवस्था में भवन की तस्वीर को वेबसाइट पर उपलब्ध कराना होगा. इससे आवास निर्माण योजना में राशि की हेराफेरी और फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी.
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