जीपीआर सर्वे में पटना सिटी में प्राचीन पाटलिपुत्र के अवशेष मिलने के संकेत, IIT कानपुर कर रहा है सर्वे

सर्वे में लगी आइआइटी कानपुर की टीम के अनुसार गुलजारबाग के इर्द- गिर्द 490 बीसी-180 बीसी के बीच की ईंट की दीवार के संकेत मिल रहे हैं. सर्वें में 80 सेंटीमीटर से लेकर 2.5 मीटर तक के नीचे अवशेष मिलने के संकेत मिले रहे हैं

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2023 6:36 AM

पटना का अपना ऐतिहासिक महत्व है. आज का पटना पाटलिपुत्र के नाम से मगध साम्राज्य की भी राजधानी रहा है. राज्य सरकार ने प्राचीन पाटलिपुत्र के अवशेष की खोज करने के लिए ग्राउंड पेंट्रेटिंग राडर (जीपीआर) से सर्वे शुरू करवाया है. जीपीआर सर्वे वर्तमान गुलजारबाग के इर्द-गिर्द के क्षेत्रों में किया जा रहा है. इस सर्वे में प्राचीन पाटलिपुत्र के अवशेष मिलने के संकेत मिल रहे हैं.

490 बीसी-180 बीसी के बीच की ईंट की दीवार

सर्वे में लगी आइआइटी कानपुर की टीम के अनुसार गुलजारबाग के इर्द- गिर्द 490 बीसी-180 बीसी के बीच की ईंट की दीवार के संकेत मिल रहे हैं. सर्वें में 80 सेंटीमीटर से लेकर 2.5 मीटर तक के नीचे अवशेष मिलने के संकेत मिले रहे हैं, जो अलग-अलग डायरेक्शन में है. बेगम की हवेली और बीएनआर ट्रेनिंग कॉलेज के नीचे भी अवशेष के संकेत मिल रहे हैं. दरअसल आर्किलोजीकल उत्खनन से पहले जीपीआर सर्वे में ऐतिहासिक अवशेष के सांकेतिक सिंग्लन मिलता है. इसी संकेत के आधार पर आर्किलोजीकल सर्वे ऑफ इंडिया उत्खनन करता है.

बीएनआर ट्रेनिंग कॉलेज के इर्द-गिर्द कुछ अवशेष का संकेत

सर्वे में लगी टीम के अनुसार बीएनआर ट्रेनिंग कॉलेज के मैदान के एक मीटर नीचे मल्टीस्ट्रक्चर अवशेष के संकेत मिल रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें, तो एक ऐसी टनल का साक्ष्य मिल रहा है, जो गंगा नदी की तरह जाती होगी. सर्वे के 3डी प्रोफाइल में मौर्यकाल के एक मीटर से लेकर तीन मीटर तक के स्ट्रक्चर दिखायी दे रहे हैं.

कैसे काम करता है जीपीआर

जीपीआर एक भू-भौतिकीय विधि है, जो सतह की छवि के लिए रडार का उपयोग करती है. यह पुरात्विक महत्व के स्थलों जैसी भूमिगत उपयोगिताओं की जांच करने के लिए उप सतह का सर्वेक्षण करने का एक तरीका है. सर्वे की इस अत्याधुनिक तकनीक से बिना खुदाई कराये जमीन से 15 मीटर नीचे तक की सभी जानकारियां आसानी से मिल जाती हैं. महत्वपूर्ण जगहें, जहां ऐतिहासिक धरोहरें दबी हो सकती हैं, वहां की खुदाई में इनके नष्ट होने का खतरा अधिक रहता है. लेकिन इस सर्वे में किसी तरह का नुकसान नहीं होता है.

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अगले महीने पूरी जीपीआर सर्वे रिपोर्ट आने की उम्मीद

कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर सचिव और आर्किलोजीकल निदेशक दीपक आनंद ने बताया कि अब तक जीपीआर सर्वे की रिपोर्ट नहीं मिली है. लेकिन, गुलजारबाग के इर्द-गिर्द अवशेष के संकेत मिल रहे हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=ufFAwE94DRU

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