पुलिस गश्ती और घटनास्थल पर पुलिस अफसर के पहुंचने की मॉनिटरिंग अब पुख्ता रहेगी. दरअसल, राज्य के पुलिस वाहनों में जीपीएस लगाने का काम 95 फीसदी पूरा हो चुका है. पुलिस की तमाम गतिविधियों का ब्योरा अभी राज्य के सभी थानों, जिला पुलिस कार्यालयों से पुलिस मुख्यालय तक पुख्ता हो रहा है.
रात में गश्ती के दौरान पुलिस वाहन कहां थे, उनकी ड्यूटी कहां लगी थी, पुलिस अधिकारी उस घटना स्थल पर कितनी देर में पहुंचे, इस सब का ब्योरा अभी राज्य के सभी थानों, जिला पुलिस कार्यालयों से पुलिस मुख्यालय तक पुख्ता हो रहा है. गृह विभाग की समीक्षा में बताया गया है कि राज्य के 2659 वाहनों में से 2540 वाहनों में जीपीएस लगाये जा चुके हैं.
दरअसल, जीपीएस सिस्टम वाहनों में लगाने के साथ सभी जिले में जीपीएस मॉनिटरिंग सेल बनाये गये हैं. इसके तहत सभी वाहनों की मॉनिटरिंग की जाती है. पुलिस थानों से जैसे ही गश्ती या अन्य कामों का सिड्यूल भेजा जाता है, उस सिड्यूल को जिला मॉनिटरिंग सेल में भेज दिया जाता है. इसके बाद सेल की ओर से उस वाहन की निगरानी की जाती है. अगर बगैर गश्ती के ही कोई गश्ती की लगत रिपोर्ट बनाता है तो उसकी रिपोर्ट वरीय अधिकारी को भेज दी जाती है. इस तरह से जीपीएस पूरे सिस्टम को पुख्ता बनाता है.
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जीपीएस सिस्टम के तहत एक खास फायदा यह होता है कि जैसे ही कोई घटना को लेकर जिला कंट्रोल रूम में फोन आता है तो जीपीएस सिस्टम पर उस लोकेशन के नजदीक किसी पुलिस वाहन के लोकेशन को सर्च किया जाता है. इसके बाद कंट्रोल रूम से सबसे नजदीकी वाहन को उस घटना स्थल पर तत्काल पहुंच कर कंट्रोल करने को कहा जाता है. इसके बाद उस क्षेत्र के थाना अफसर वहां पहुंचते हैं.
राज्य में एक अक्तूबर से नदी घाटों से फिर से खनन शुरू हो जायेगा. फिलहाल एनजीटी के निर्देशों के अनुसार एक जुलाई से 30 सितंबर तक इस पर रोक है. इस बार खनन शुरू होने के साथ ही अवैध खनन, बालू की अवैध बिक्री और ढुलायी पर नियंत्रण के लिए सख्ती बढ़ाने की तैयारी की जा रही है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan